बोर्ड की बारहवीं और दसवीं की परीक्षा में प्रतिवर्ष 19 से 20 लाख विद्यार्थी बैठते हैं। सालभर कड़ी मेहनत करने के बाद विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं को जांचने का कार्य परीक्षक महज कुछ मिनट में ही कर लेते हैं।
संवीक्षा में खुलती है पोल
संवीक्षा में खुलती है पोल
शिक्षा बोर्ड ने परिणाम के बाद विद्यार्थियों को उनकी उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा की व्यवस्था लागू कर रखी है। इसके तहत उत्तरपुस्तिकाओं को नए सिरे से तो जांचा नहीं जाता अलबत्ता अंकों की री-टोटलिंग की जाती है। इसके अलावा अगर कोई प्रश्न जंचने से रह जाता है तो उसकी भी संवीक्षा की जाती है। प्रतिवर्ष अंकों की री-टोटलिंग में ही लगभग 20 से 25 हजार विद्यार्थियों के अंकों में बढ़ोतरी हो जाती है। अगर उत्तरपुस्तिकाओं को नए सिरे से जांचा जाए तो परिणाम क्या होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
डेढ़ लाख विद्यार्थी करते हैं आवेदन
उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा के लिए प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थी आवेदन करते हैं। इन विद्यार्थियों में से लगभग 15 से 20 प्रतिशत विद्यार्थियों का परिणाम बदल जाता है। यह हालत तो तब है जब परीक्षा में बैठने वाले लगभग 20 लाख विद्यार्थियों में से महज सवा-डेढ़ लाख विद्यार्थी ही संवीक्षा के लिए आवेदन करते हैं।
उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा के लिए प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थी आवेदन करते हैं। इन विद्यार्थियों में से लगभग 15 से 20 प्रतिशत विद्यार्थियों का परिणाम बदल जाता है। यह हालत तो तब है जब परीक्षा में बैठने वाले लगभग 20 लाख विद्यार्थियों में से महज सवा-डेढ़ लाख विद्यार्थी ही संवीक्षा के लिए आवेदन करते हैं।
बदल जाती थी योग्यता सूची
शिक्षा बोर्ड में दो साल पूर्व तक राज्य और जिला स्तरीय योग्यता सूची जारी करने की परम्परा थी। योग्यता सूची में शामिल मेधावी विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं को जांचने में भी कई गलतियां कर दी जाती थीं। यही वजह थी कि संवीक्षा के बाद योग्यता सूची में शामिल विद्यार्थियों के अंकों में भी बढ़ोतरी हो जाती थी जिस कारण बोर्ड को नए सिरे से योग्यता सूची जारी करनी पड़ती थी।
शिक्षा बोर्ड में दो साल पूर्व तक राज्य और जिला स्तरीय योग्यता सूची जारी करने की परम्परा थी। योग्यता सूची में शामिल मेधावी विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं को जांचने में भी कई गलतियां कर दी जाती थीं। यही वजह थी कि संवीक्षा के बाद योग्यता सूची में शामिल विद्यार्थियों के अंकों में भी बढ़ोतरी हो जाती थी जिस कारण बोर्ड को नए सिरे से योग्यता सूची जारी करनी पड़ती थी।
शिक्षा बोर्ड की भी मजबूरी
दरअसल शिक्षा बोर्ड को प्रति वर्ष लगभग एक करोड़ 20 लाख उत्तरपुस्तिकाएं जंचवानी होती हैं। इसके लिए लगभग 25 हजार परीक्षकों की जरूरत रहती है। सूचना के अधिकार के तहत उत्तरपुस्तिकाओं की प्रति हासिल करने की सुविधा और संवीक्षा के बाद होने वाली किरकिरी से बचने के लिए परीक्षक उत्तरपुस्तिकाएं जांचने में आनाकानी करते हैं। इस कारण शिक्षा बोर्ड भी गलतियां करने वाले परीक्षकों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाता। बोर्ड के इस ढुलमुल रवैये की वजह से परीक्षक भी उत्तरपुस्तिकाओं को जांचने में अधिक माथापच्ची नहीं करते।
दरअसल शिक्षा बोर्ड को प्रति वर्ष लगभग एक करोड़ 20 लाख उत्तरपुस्तिकाएं जंचवानी होती हैं। इसके लिए लगभग 25 हजार परीक्षकों की जरूरत रहती है। सूचना के अधिकार के तहत उत्तरपुस्तिकाओं की प्रति हासिल करने की सुविधा और संवीक्षा के बाद होने वाली किरकिरी से बचने के लिए परीक्षक उत्तरपुस्तिकाएं जांचने में आनाकानी करते हैं। इस कारण शिक्षा बोर्ड भी गलतियां करने वाले परीक्षकों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाता। बोर्ड के इस ढुलमुल रवैये की वजह से परीक्षक भी उत्तरपुस्तिकाओं को जांचने में अधिक माथापच्ची नहीं करते।
हालांकि परीक्षकों को बोर्ड कार्य से डिबार कर दिया जाता है, लेकिन यह काफी नहीं है। इस साल से गलती करने वाले परीक्षकों के खिलाफ शिक्षा विभाग की ओर से कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। परीक्षकों के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किया जाएगा। विद्यार्थियों की सालभर की मेहनत का सही मूल्यांकन हो इसे पहली प्राथमिकता पर लिया गया है।
– नत्थमल ढिढेल, प्रशासक, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं निदेशक, शिक्षा विभाग