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अजमेर

गंभीर मरीजों की जान पर संकट, लम्बे समय से टाले जा रहे हैं ऑपरेशन

न्यूरो सर्जरी, सर्जरी, नेत्र रोग, यूरोलॉजी विभाग में पिछले दो महीनों से ऑपरेशन प्रभावितअधिग्रहीत किए गए प्राइवेट अस्पतालों का भी नहीं मिल रहा फ ायदाजेएलएएन अस्पताल को कविड 19 से खाली कर अन्य विभाग सुचारू करने की जरूरत

अजमेरMay 27, 2020 / 03:57 pm

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गंभीर मरीजों की जान पर संकट, लम्बे समय से टाले जा रहे हैं ऑपरेशन

गंभीर मरीजों की जान पर संकट, लम्बे समय से टाले जा रहे हैं ऑपरेशन

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. संभाग मुख्यालय के सबसे बड़े राजकीय जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में गंभीर मरीजों के साथ अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों पर संकट बना हुआ है। कई मरीजों के ऑपरेशन पिछले दो माह से टालने के चलते उनका दर्द बढ़ रहा है। दर्द को दबाने के लिए कई मरीज दवाओं के भरोसे चल रहे हैं। कोविड 19 के अलावा अन्य बीमारियों के मरीजों की हालत खराब है। यही नहीं जिन भवनों में एक विभाग के लिए भी जगह पर्याप्त नहीं थी वहां तीन-तीन बड़े विभाग संचालित किए जा रहे हैं।
जेएलएन अस्पताल के मुख्य भवन को कोविड 19 में परिवर्तित करने के करीब दो माह से प्रमुख विभागों की ओपीडी, दवा काउंटर, वार्ड भी छोटे अन्य वार्डों में मर्ज कर दिए गए। लॉकडाउन के बावजूद कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से भी कुछ की कोरोना संदिग्ध के चक्कर में मौत हो गई। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सरकार की गाइड लाइन से भी अन्य बीमारियों के मरीज परेशान रहे हैं तो कुछ लॉक डाउन के चलते अस्पताल देरी से पहुंचे।
अप्रेल में पिछले वर्ष अप्रेल के मुकाबले 80 हजार की ओपीडी घटी

जेएलएन अस्पताल में अप्रेल 2019 में ओपीडी जहां 107916 थी जो अप्रेल 2020 में मात्र 26,982 रह गई। पिछले वर्ष अप्रेल में आईपीडी 6026 थी जो इस बार अप्रेल मे मात्र 2821 रह गई है।
पिछले अप्रेल माह के मुकाबले मात्र 4 प्रतिशत मेजर सर्जरी
अप्रेल 2019 में मेजर सर्जरी (बड़े/जटिल ऑपरेशन)1164 हुए मगर इस साल अप्रेल माह में इसका मात्र 4 प्रतिशत मरीजों के ही मेजर ऑपरेशन हो पाए हैं। अप्रेल माह में मात्र 47 ऑपरेशन ही हुए हैं।
इन विभागों में मरीजों के ऑपरेशन प्रभावित

-सर्जरी विभाग-हर्निया सहित अन्य।
-यूरोलॉजी विभाग-पथरी, प्रोस्टेट सहित अन्य।
-नेत्र विभाग-मोतियाबिन्द सहित अन्य।
-न्यूरोसर्जरी- न्यूरो संबंधी रोग-ईएनटी
– नाक,कान गले, थॉयराइड, साइनस के ऑपरेशन।

कोविड के चलते ये विभाग अन्य विभागों की शरण में
नेत्र रोग विभाग, सर्जर विभाग, ऑर्थोपेडिक विभाग, मेडिसिन विभाग, कैज्युल्टी, ट्रोमा वार्ड,ज्यूरिस्ट विभाग, ईएनटी विभाग, दंत रोग विभाग, विभागों की ओपीडी, आईसीयू, ईएमयू, सभी वार्ड मु्य भवन में संचालित नहीं हो रहे हैं।
यह है बाधाएं
-कोविड 19 अस्पताल (जेएलएन अस्पताल का मुख्य भवन) को खाली करना।
-कोरोना संदिग्ध व एक्टिव केस को शिफ्ट करना।
-मुख्य अस्पताल भवन को सेनिटाइज करने में कम से कम 4 दिन का समय।
-मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर को सेनिटाइज कर ऑपरेशन को सुचारू करना।
-गाइड लाइन के अनुसार मेडिकल कॉलेज के अस्पताल को जल्द सुचारू करने के आदेश नहीं मिला।
केस एक

पसंद नगर निवासी बदलेव बुजुर्ग मरीज है। प्रोस्टेट का ऑपरेशन होना है। लॉक डाउन के बाद से ही ऑपरेशन का इंतजार कर रहे हैं।

केस न. दो

बिहारीगंज निवासी राजकुमार के पथरी होने से परेशान है। पहले किडनी में पथरी होने से तार डला हुआ है ना तो तार निकाला गया है और ना दूसरी किडनी में स्टोन का ऑपरेशन हुआ है।
यह निजी अस्पताल किए गए अधिग्रहीत

अजमेर का पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल, किशनगढ़ का मार्बलसिटी हॉस्पिटल सहित कई कोविड 19 के चलते अधिग्रहीत किए गए। मगर इनका उपयोग मेडिकल कॉलेज व यज्ञनारायण अस्पताल प्रशासन नहीं कर पाया।
इनका कहना है

मरीजों के कई ऑपरेशन कोरोना के चलते टाले गए हैं। कुछ मरीजों के ऑपरेशन भी जरूरी हो गए हैं। सरकार की गाइड लाइन के अनुसार जिन ऑपरेशन को टाला जा सकता था उन्हें टाला है। दो महीनों में पिछले वर्ष के मुकाबले आउटडोर, इंडोर सहित ऑपरेशन का आंकड़ा घटा है।
डॉ.संजीव माहेश्वरी, अति. प्रधानाचार्य जेएलएन मेडिकल कॉलेज

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