मृतक सांवरसिंह डेढ़ माह से श्रीनगर पेट्रोल पम्प के सामने चाय की थड़ी चलाता था। वह हाथीपट्टा (श्रीनगर) में बहन रूपीदेवी के पास रहता था लेकिन दो दिन पहले घर से निकला तो वापस नहीं लौटा। उसने रविवार को बहन से मां की मोबाइल पर बात करवाई थी। उसके मोबाइल की अंतिम लोकेशन सोमवार शाम 7 बजकर 59 मिनट पर मुहामी क्षेत्र में थी। पुलिस मोबाइल की कॉल डिटेल निकालने तफ्तीश में जुटी है।
मृतक की कलाई पर सांवरसिंह गुदा था। कलाई के नाम से गोडिय़ावास निवासी हनुमानसिंह ने मृतक के पैर पर पुरानी चोट देखकर छोटे भाई के रूप में पहचान की लेकिन मां कमलादेवी ने इन्कार कर दिया। उसने बताया कि उसके बेटे सांवर का बायां पैर टूटा था जबकि मृतक के दायें पैर में रॉड लगी है। गोडिय़ावास निवासी सांवर किशनगढ़ में दिहाड़ी मजदूरी करता है लेकिन उसका मोबाइल स्विच ऑफ आने से संदेह गहरा गया। लेकिन कुछ देर बाद ही मृतक की सही पहचान हो गई।
मृतक की पहचान गोडिय़ावास बस स्टैंड पर लावारिस हाल में मिली बिना नम्बरी बाइक से हुई। बाइक के सीट कवर पर नाकोड़ा ऑटोमोबाइल का कवर लगा था। तफ्तीश में बाइक तीन दिन पहले पीसांगन पिचौलिया निवासी सांवर सिंह पुत्र गोपीसिंह ने खरीदी थी। सांवरसिंह के शव की पहचान बुआ के बेटे गोडिय़ावास निवासी अंगूरसिंह व बहन रूपीदेवी ने की।
मृतक के शरीर पर सिर्फ पैरों में जूते व मोजे मिले। बाकी शरीर पर नग्नावस्था में था। खून में सने कपड़े शव के आसपास ही मिले। पुलिस मामले को प्रेम प्रसंग से जोड़कर देख रही है। पड़ताल में सामने आया कि डेढ़ साल पहले सांवरसिंह गोडिय़ावास में ईंट भट्टे पर ट्रेक्टर ट्रॉली चलाता था। वर्ष-2008 में दुर्घटना में पैर टूटने के बाद उसने ट्रेक्टर चलाने का काम बंद कर दिया। वह डेढ़ माह से श्रीनगर में पेट्रोल पम्प पर चाय की थड़ी का संचालन कर रहा था। संभवत: सांवर सोमवार को मिलने आया हो और उसके साथ घटना पेश आई। पुलिस मामले की गहनता से पड़ताल में जुटी है।