अजमेर जिले में डेंगू के मरीजों के आंकड़ों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन जेएलएन अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या खुद-ब-खुद ही आंकड़े बयां कर रही है। उधर, अस्पताल में डेंगू के इनडोर रोगियों को मच्छरदानी में नहीं रखा जा रहा। कुछ वार्डों में तो अन्य बीमारी के मरीजों के बीच ही डेंगू के रोगी भर्ती हैं।
फैक्ट फाइल डेंगू के मरीज-239 (एलाइजा टेस्टेड) चिकनगुनिया के मरीज-09
मलेरिया के मरीज-02 डेंगू से पीडि़त बच्चे- 110 यहां करा सकते हैं जांच मेडिकल कॉलेज, जेएलएन अस्पताल, सैटेलाइट अस्पताल। जांच के अलावा जोनल ब्लड बैंक में प्लेटलेट की सुविधा भी उपलब्ध है।
मेडिसिन व प्लेटलेट से उपचार जेएलएन अस्पताल सहित अन्य चिकित्सालयो में डेंगू के मरीजों को मेडिसिन, ग्लूकोज एवं जरूरत पडऩे पर ब्लड बैंक से प्लेटलेट की व्यवस्था कर उन्हें चढ़ाई जा रही है। ज्यादातर मरीज एलोपैथिक उपचार पर ही निर्भर हैं।
देशी उपचार में पपीते के पत्ते रामबाण ! डेंगू के मरीजों की सीबीसी जांच में डेंगू के लक्षण नजर आने के बाद पपीते के पेड़ के पत्तों को पीसकर पत्तों का रस पिलाने से प्लेटलेट बढ़ाई जा सकती हैं। इससे डेंगू रोग पर नियंत्रण संभव है। कई लोग पपीता फल का भी उपयोग कर रहे हैं। चिकित्सक भी इसकी सलाह दे रहे हैं।
बकरी का दूध : डेंगू के मरीजों को बकरी का दूध पिलाए जाने से भी प्लेटलेट की संख्या में बढ़ोतरी होती है। ग्रामीण क्षेत्र में इस नुस्खे को अपनाया जा रहा है।
नारियल पानी : डेंगू के मरीजों को नारियल पानी पिलाया जाना चाहिए। वैसी भी चिकित्सक डेंगू रोगियों को लिक्विड आहार ज्यादा देने की सलाह दे रहे हैं। यह हैं डेंगू के लक्षण तेज सिर दर्द, आंख के भीतर पीछे की ओर दर्द होना, मांसपेशियों एवं जोड़ों का दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना। जबकि गंबी डेंगू के मरीजों में मसूड़ों से रक्तस्त्राव, बैचेनी, थकान, उल्टी में खून आना आदि लक्षण हैं।