सांखला के खिलाफ पूर्व पार्षद सत्यनारायण गर्ग ने वकील विवेक पाराशर के जरिए एक फौजदारी परिवाद प्रस्तुत किया था। इसमें उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर बताया कि वर्ष 2010 में सांखला 10 वीं कक्षा उत्तीर्ण नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने नामांकन पत्र में अंकित कॉलम में स्वयं को दसवी कक्षा पास बताया। परिवाद के आधार पर अदालत ने पुलिस को मामले की जांच रिपोर्ट मांगी थी।
यहां उलझा है पेच वर्ष 2010 के चुनाव में सांखला को दसवी कक्षा उत्तीर्ण बताया तथा वार्ड 18 से नामांकन भरा। इस पर सवाल इसलिए खड़ा हुआ कि सांखला ने वर्ष 2015 में पार्षद का चुनाव लड़ा और उपमहापौर बने, इसके लिए उन्होंने दाखिल नामांकन में ओपन यूनिवर्सिटी दिल्ली से स्वयं को 10 वी पास बताया। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया कि जो विद्यार्थी एक संस्थान से पहले ही 10 वीं कक्षा पास है उसे दोबारा 10वीं पास करने की जरूरत क्यों पड़ गई।
अदालत में परिवादी सत्यनारायण गर्ग द्वारा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471 व लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(क) व 125(क) के तहत प्रसंज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज करने की गुहार अदालत से की गई है। इस मामले में सुनवाई शुक्रवार को की जाएगी। कानूनी जानकारों की माने तो मामले में सत्यता की पुष्टि होती है तो रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष मिथ्या हलफनामा प्रस्तुत करना प्रमाणित होने पर उपमहापौर का पद छोडऩा पड़ सकता है। या वे नैतिकता के आधार पर भी स्वयं कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं।