विश्वविद्यालतय प्रतिवर्ष स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं के फार्म ऑनलाइन भराता है। मौजूदा वक्त विद्यार्थियों को सिर्फ ई-मित्र पर ही ऑनलाइन फार्म भरने की सुविधा है। इसके बाद बैंक में चालान से फीस और हार्ड कॉपी का प्रिंट निकालकर कॉलेजों में जमा कराना पड़ता है। यह प्रक्रिया विद्यार्थियों को जबरदस्त परेशान करती है। कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली इस व्यवस्था को स्मार्ट बनाना चाहते हैं।
डिजिटल गेटवे से फीस
प्रस्तावित योजना के तहत विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को डेबिट-क्रेडिट कार्ड, पे-टीएम और अन्य ऑनलाइन विकल्पों से फीस भुगतान की सुविधा भी देगा। प्री. बीएड, बीएसटीसी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी यही व्यवस्था लागू है। इससे विद्यार्थी ई-मित्र के अलावा भी इन सुविधाओं से फीस भुगतान कर सकेंगे।
वेबसाइट से सीधे भरेंगे फार्म विद्यार्थियों को अभी ई-मित्र से फार्म भरने पड़ते हैं। दस्तावेजों को स्केन कराने,फार्म भरने और अपलोड करने सहित उसकी हार्डकॉपी जमा निकालने जैसी परेशानियां झेलनी पड़ती है। विश्वविद्यालय की प्रस्तावित योजना के तहत कैशलेस फीस के साथ विद्यार्थी सीधे वेबसाइट से भी ऑनलाइन फार्म भर पाएंगे। विकल्प के तौर पर ई-मित्र सुविधा को भी जारी रखा जाएगा।
ताकि नहीं भरनी पड़ें जरूरी सूचनाएं….
विद्यार्थियों को हर साल फार्म में नाम, माता-पिता का नाम और संकाय और अन्य सूचनाएं भरनी पड़ती हैं। बाद में विश्वविद्यालय हार्ड कॉपी की जांच करता है। इसके चलते प्रशासन वन टाइम रजिस्ट्रेशन की तर्ज पर नई योजना तैयार करने का इच्छुक है।
इसमें आधार कार्ड से विद्यार्थियों की सूचनाएं सीधे सर्वर पर दर्ज होंगी। नाम, माता-पिता का नाम, संकाय जैसी सूचनाएं बार-बार नहीं भरनी पड़ेंगी। विद्यार्थी को संबंधित कक्षा के उत्तीर्ण/अनुत्तीर्ण होने की मार्कशीट, पेपर के नाम ही भरने होंगे। इस नवाचार योजना को लेकर तकनीकी विशेषज्ञों, फर्मों से चर्चा होगी। बनाएं
अतिरिक्त वेतन-भत्तों का चक्कर? विद्यार्थियों की परीक्षा हार्ड कॉपी कॉलेजों में प्राचार्य और स्टाफ जांचते हैं। इसके बाद विश्वविद्यालय इनकी जांच करता है। प्रति हार्ड कॉपी (आवेदन) पर अतिरिक्त पारिश्रमिक मिलता है। परीक्षा फार्म भरने और जांचने तक कॉलेज और विश्वविद्यालय में यह राशि ओवरटाइम के रूप में मिलती है। इसीलिए विश्वविद्यालय स्मार्ट व्यवस्थाओं से दूरी बनाए बैठा है।
ऑनलाइन परीक्षा फार्म प्रणाली को स्मार्ट बनाया जाएगा। कुलपति, सरकार और तकनीकी फर्म से चर्चा के बाद इसकी शुरुआत की जाएगी।
प्रो. सुब्रतो दत्ता, परीक्षा नियंत्रक, मदस विश्वविद्यालय