scriptबोले डॉ. कोठारी..जीवन में सोचिए पॉजीटिव, फिर देखिए यूं मिलेगी कामयाबी | Dr kothari said..Be positive in life, get success automatically | Patrika News
अजमेर

बोले डॉ. कोठारी..जीवन में सोचिए पॉजीटिव, फिर देखिए यूं मिलेगी कामयाबी

दोस्तों के करीबी और हर वक्त साथ रहने वाले आज कहां और किस स्थिति में हैं। जब आप ऐसा करेंगे तो तालमेल स्वत: बैठ जाएगा।

अजमेरMay 12, 2018 / 04:51 pm

raktim tiwari

motivational speech of dr gulab kothari

motivational speech of dr gulab kothari

दिशा बोध कार्यक्रम के दौरान स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों, नौजवानों और शहरवासियों ने मानस पटल पर तैरते सवाल पूछकर राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी से विविध विषयों पर चर्चा की। इस दौरान डॉ. कोठारी ने जीवन मूल्यों, शिक्षा, संस्कारों और पारिवारिक वातावरण सहित अन्य विषयों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर दिए।
सवाल- आधुनिक समाज में नैतिक मूल्यों की बातें करने पर कई बार उपहास का पात्र बनते हैं। लोग हमें पुरातन पंथी समझते है। ऐसे माहौल में कैसे तारतम्य बैठाएं?

डॉ. कोठारी- जीवन आज भी पहले की तरह है। पुरातन और आधुनिक जैसी कोई अवधारणा नहीं है। हम मन और आत्मा की चर्चा नहीं करते हैं। जब आप इनसे साक्षात्कार करेंगे तो नया और पुराने का भाव नहीं आएगा। हमें अपने संस्कारों से सीखना पड़ेगा। हम सब ही मिलकर समाज, राष्ट्र और दुनिया बनाते हैं। एक व्यक्ति ही बाद में परिवार और समाज बनता है। जब खुद को पहचानेंगे तो विचारों की अभिव्यक्ति भी बदल जाएगी।
सवाल- आज के नौजवान टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग करते हैं। कोई अंकुश लगाने या निगरानी की व्यवस्था नहीं है। इससे कहीं ना कहीं संस्कारों पर असर पड़ रहा है। इसे कैसे रोका जा सकता है?
डॉ. कोठारी- तकनीक का दुरुपयोग व्यक्ति ही करता है। जिसके दिल में संवेदना नहीं होती वही ऐसे काम करता है। जो दूसरों के दुख और तकलीफ को समझते हैं वही संस्कारों और मूल्यों से तालमेल रख सकते हैं। इसके लिए आपको घर की तरफ लौटना ही पड़ेगा। फिर से माता-पिता की अंगुली पकड़ कर चलना होगा।
सवाल-सुबह उठते ही अखबारों और टीवी में हत्या, हिंसा और अन्य नकारात्मक खबरें पड़ते हैं। इससे नकारात्मक विचार प्रवाहित होने लगते हैं। क्या अखबारों और टीवी को यह ट्रेंड जारी रखना चाहिए?

डॉ. कोठारी-आप नकारात्मक चीजें देखना बंद कर दीजिए। हमारे यहां सहस्र बरसों से घर-परिवार में सिखाया गया है, कि सुबह उठते ही सबसे पहले ईश्वर के दर्शन करो। गीता, बाइबिल या कुरान की पंक्तियां पढऩे की बातें कही गई हैं। जब आप इसकी अनुपालना करेंगे तो मन में सकारात्मक विचारों का प्रवाह बढ़ जाएगा।
सवाल- स्कूल-कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। बड़े-बड़े स्कूल खुल रहे हैं, लेकिन विद्यार्थी लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। वास्तविक किताबी ज्ञान पर जोर नहीं है?

डॉ. कोठारी- शिक्षा किसी भी स्तर में कहीं घट नहीं रही है। हमारे जमाने में सिर्फ विज्ञान, कला और वाणिज्य संकाय ही होते थे। आज तो 4 हजार विषय चल रहे हैं। शिक्षा में व्यक्तित्व निर्माण को शामिल करना ही पड़ेगा। आज विद्यार्थी और व्यक्ति इंसान नहीं मशीन बनते जा रहे हैं। क्या आठ घंटे की नौकरी, व्यवसाय या पढ़ाई ही जीवन है। बचे हुए 16 घंटे में भी हम घर में अफसर, सम्पादक या कर्मचारी ही बने रहना चाहते हैं। आप माता-पिता से सवाल पूछिए। उनके पास आधा घंटा बैठना सीखिए।
सवाल-हमें परिजन संस्कार, अनुशासन और सचेत रहने की सीख देते हैं। जब हम दोस्तों के बीच जाते हैं, तो वहां कुछ और ही सीखते हैं। इन दोनों में तालमेल किस तरह बिठाया जा सकता है?
डॉ. कोठारी-यह आपके विवेक पर निर्भर करता है। पहला विश्वास आपको माता-पिता पर ही करना चाहिए। दोस्त कुछ भी कहें, लेकिन उनके विचारों को पहचानकर तोलना सीखें। यह भी देखें कि दोस्तों के करीबी और हर वक्त साथ रहने वाले आज कहां और किस स्थिति में हैं। जब आप ऐसा करेंगे तो तालमेल स्वत: बैठ जाएगा।
सवाल- संस्कार माता-पिता, गुरुओं से आते हैं, लेकिन कड़े नियमों, पाबंदियों के चलते हमारे हाथ बांध दिए हैं। बच्चों को कुछ समझाने-बताने पर अक्सर परिजन मुखर होकर हो जाते हैं। ऐसे में क्या करना चाहिए?
डॉ. कोठारी -इसके लिए माता-पिता को भी शिक्षित करने की जरूरत है। अगर परिजन बच्चे को कुछ और सिखा रहे हैं, तो इससे संतुलन कैसे बनेगा। ऐसे संस्कारों का प्रवाह कैसे होगा। माता-पिता को समझाइए कि बच्चे अच्छे नहीं हैं तो आप स्वयं का बुढ़ापा खराब करने जा रहे हैं। आज संवेदनाएं खत्म हो रही हैं। यह सब सिर्फ हम स्वयं ही बदल सकते हैं।
सवाल- पढ़ाई भी उतनी ही खास है जितना कॅरियर। पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक मूल्यों से कैसे तालमेल बैठा सकते हैं।

डॉ. कोठारी-रोज एक घंटे सिर्फ नैतिक मूल्यों को समझने और अपनाने का अभ्यास करें। मन में संकल्प करें। आंखें बंद कर खुद से बात करें कि क्या मेरा संकल्प मजबूत है। संकल्प ही मन का बीज है। वही हमें आगे बढ़ाता है। जब आप ऐसा दृढ़ संकल्प करने में महारत हासिल कर लेंगे तो पढ़ाई खुद ही अच्छी हो जाएगी।
सवाल-चहुंओर बढ़ते भ्रष्टाचार के माहौल में ईमानदारी कहीं खोती नजर आ रही है। भ्रष्टाचार के युग में जीना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में कैसे समाज को दिशा दी जा सकती है?

डॉ. कोठारी- ऐसा विचार रखने की जरूत नहीं है। राजस्थान पत्रिका आपके सामने उदाहरण है। पत्रिका ने कई झंझावतों के बावजूद गलत बातों से समझौता नहीं किया। जब अच्छे पाठक हैं तो विश्वास खुद ही बना रहता है। मूल्यों के लिए संघर्ष करने में नुकसान हो जाए तब भी सत्य से डिगना नहीं चाहिए।
सवाल -जीवन में कोई विद्यार्थी अर्थशास्त्र तो कोई विज्ञान पढऩा चाहता है। कोई नौकरी तो कोई व्यवसाय की इच्छा रखता है। विद्यार्थी यह सब कैसे तय कर सकता है?

डॉ. कोठारी- पहले सोचें कि मुझे अपने और समाज के लिए करना क्या है? पैसे बैंक में जमा करने हैं या इसका सदुपयोग भी करना है। मन में लक्ष्य बनाकर तय करें। जब आप लक्ष्य के पीछे लगेंगे तो पैसा, पद, प्रतिष्ठा खुद ही पीछे आएंगे।
सवाल- जब कोई एक काम करते हैं, तो दूसरे का ख्याल आता है। पढ़ाई की सोचते हैं, खेलने का ध्यान आता है। इसमें कैसे तालमेल बैठाया जा सकता है।

डॉ. कोठारी- जीवन में अभ्यास करने का संकल्प करें। मेरे हाथ में जो पहले है, उसको करना सीखें। मेरे मन में क्या विचार आ रहा है, मन किधर जा रहा है उस पर नियंत्रण करने का अभ्यास करें। एक क्षेत्र को पकडऩे और उसमें प्रवृत्त होने से आप कभी डगमगा नहीं सकते हैं।
सवाल- आज आप जिस मुकाम पर हैं क्या आपने बचपन से यहां तक पहुंचने का लक्ष्य बनाया था।

डॉ. कोठारी- उस वक्त यह परिस्थिति नहीं थीं। हमें समझाया गया कि जो काम हाथ में है वो करो। भविष्य की चिंता नहीं करनी है। जो बीत गया उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। वर्तमान का ख्याल कर लक्ष्य की तरफ चलना चाहिए।

Home / Ajmer / बोले डॉ. कोठारी..जीवन में सोचिए पॉजीटिव, फिर देखिए यूं मिलेगी कामयाबी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो