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अजमेर

सूखी पत्तियां नगर निगम के लिए उगलेगी सोना

प्रोजेक्ट तैयार : संस्थानों को 8 से 10 रुपए किलो में बेची जाएगी खाद

अजमेरNov 29, 2022 / 11:40 pm

Amit

सूखी पत्तियां नगर निगम के लिए उगलेगी सोना

सूखी पत्तियां नगर निगम के लिए उगलेगी सोना

अमित काकड़ा
अजमेर. शहर के बगीचों में अब पौधे उगाने के साथ-साथ खाद भी बनाई जाएगी। खाद बनाकर निगम की ओर से इसे बेचा जाकर कमाई की जुगत की जा रही है। बाग-बगीचों में पेड़ों से झड़ने वाली सूखी पत्तियों को ट्रेंचिंग ग्राउण्ड में एकत्रित कर खाद बनाने के उपयोग में लिया जा रहा है। नगर निगम ने इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस पूरी कवायद से निगम का आमदनी का जरिया भी बनेगा। शहर के बगीचों में खाद बनाने के लिए करीब दो सौ से ज्यादा ‘कम्पोस्ट बेड’ तैयार किए जाएंगे।
ऐसे होगी तैयार
सॉलिड लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेन्ट (एसएलआरएम) के तहत सुभाष उद्यान में पौधों की पत्तियों, घास और पौधों के अवशेषों को एकत्र किया जा रहा। पानी में गाय का गोबर मिलाकर सूखी पत्तियों को उसमें भिगोया जाता है। इन पत्तियों को 6 गुणा 12 फीट के स्थान पर बिछाया जाता है। इसके बाद कर्मचारी गम ***** पहनकर इन्हें पैरों से कुचलते हैं। दवाब से पत्तियों के टुकड़े हो जाते हैं। करीब छह फीट की लेयर होने पर इस कम्पोस्ट बेड को जूट की बोरियों से बने कवर से ढंक दिया जाता है।
रोज लेते हैं तापमान
ढकने के बाद बेड में कई जगह छेद किए जाते हैं। छह स्थानों पत्तियों का तापमान लिया जाता है। नमी से पत्तियों में बैक्टिरिया सक्रिय होते हैं। इस दौरान बेड का तापमान धीरे-धीरे कम होने लगता है। 45 से 60 दिन की इस प्रक्रिया में एक समय के बाद बेड का तापमान बाहर के तापमान के बराबर हो जाता है। जिस पर खाद तैयार हो जाती है।
खाद की होगी बिक्री
तैयार खाद को निगम की ओर से बेचा जाएगा। आमतौर पर बाजार में करीब 15 रुपए किलो में खाद मिलती है। बाजार में प्राकृतिक प्रोसेस से तैयार खाद की बहुत डिमांड होती है। ऐसे में निगम की ओर से संस्थानों को खाद बेची जाएगी। इसका एकसाथ ऑक्शन भी किया जाएगा। इसकी कीमत 8 से 10 रुपए किलो के बीच होगी।
बच रहा डीजल का खर्च
बीते कुछ दिनों से नगर निगम की ओर से उद्यानों से करीब 150 ट्रॉली कचरा एकत्र किया गया। इस कचरे को ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पहुंचाने में हजारों रुपए खर्च होते हैं। हर महीने शहर के उद्यानों से कई सौ ट्रॉली कचरा ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पहुंचाया जाता है। इसमें लाखों रुपए का डीजल खर्च होता है। इस कवायद से वाहनों के फेरे कम होने के कारण डीजल बच रहा है।
प्राकृतिक खाद के लाभ
प्राकृतिक खाद के उपयोग से मिट्टी की भौतिक व रासायनिक स्थिति में सुधार होता है। उर्वरक क्षमता बढ़ती है। सूक्ष्म जीवों की गतिविधि में वृद्धि होती है। मिट्टी की संरचना में सुधार होता है जिससे पौधे की जड़ों का फैलाव अच्छा होता है। मृदा तापमान व नमी बनी रहती है।
इनका कहना है…
एसएलआरएम में खाद बनाने का प्रोसेस प्रारंभ किया है। इससे बगीचों का कचरा ट्रेंचिंग ग्राउण्ड नहीं भेजा जाकर बगीचों में ही खाद बनाने के काम में लिया जा रहा है। इसे सुभाष उद्यान में एकत्र कर कम्पोस्ट बेड बनाए जा रहे हैं। अब तक तीन बेड बन चुके हैं। यह खाद पूरी तरह ऑर्गेनिक है। इस खाद को बेचा जाएगा। शहरवासी भी ऑटो ट्रिपर को अलग से सूखी पत्तियां या गार्डन वेस्ट दे सकते हैं।
सुशील कुमार, आयुक्त नगर निगम अजमेर
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