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अजमेर

बेटे के इलाज को खुले में सिसकती रही बुजुर्ग मां

पत्रिका ने पहल कर मौके पर ही मरीज की करवाई जांच

अजमेरSep 15, 2020 / 01:30 am

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बेटे के इलाज को खुले में सिसकती रही बुजुर्ग मां

बेटे के इलाज को खुले में सिसकती रही बुजुर्ग मां

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. मां के कलेजे का टुकड़ा (बेटा) चाहे बच्चा हो चाहे प्रौढ़, मां उसके सुखी रहने एवं स्वस्थ रहने की कामना करती हैं। खुद चलने-फिरने में विवश, डबडबी आंखों पर चश्मा लगाकर राहगीरों की मदद के इंतजार में वह खुद और अपने 50 साल के बेटे के पेट भरने को तो हाथ फैला ही रही हैं मगर अस्पताल में इलाज को भी विवश हैं। यही वजह है कि अस्पताल परिसर में रहकर भी खुले में टीन शेड के लिए मानसिक रूप से कमजोर अपने बेटे को लेटाकर दोनों समय उसका पेट भर रही है। पत्रिका ने मां और बेटे के दर्द को समझा और चिकित्साकर्मियों को मौके पर बुलाकर जांच करवाई।
संभाग मुख्यालय के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में सोमवार को बाहर खुले परिसर में पर्ची काउंटर के सामने लगी कतारों के पीछे एक बीमार युवक और उसके पास बैठी महिला नजर आई तो पत्रिका ने उसकी पीड़ा जाननी चाही। बुजुर्ग मां ने हाथ जोड़ कर बेटे को अस्पताल में भर्ती करवाने एवं जांच करवाने का आग्रह किया। इस पर पत्रिका टीम ने प्रयास किए और मौके पर ही कम्पाउंडर नरेश शर्मा को बुलाकर उसके स्वास्थ्य की जांच करवाई। नर्सिंगकर्मी शर्मा ने स्वास्थ्य के बारे में पूछा तो पता चला कि वह मानसिक रोग विभाग में उपचाररत रहा है।
उजड़ गया आशियाना, अस्पताल की शरण

बुजुर्ग मां ने बताया कि वे मूल रूप से जोधपुर जिले के रहने वाले हैं। कई सालों से तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी एवं पहाडग़ंज के अंतिम छोर पर वह रहती हैं। मकान नहीं है तो एक झोंपड़ी बनाकर रह रहे थे। बेटे की मानसिक हालत ठीक नहीं है। आर्थिक परेशानी के चलते इलाज नहीं करवा पा रही हैं। इसलिए अस्पताल में ही वे पिछले कई दिनों से खुले में ही रहते हैं। यहां खाने-पीने को कोई देता है, उसी से पेट भर लेते हैं।

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