-वार्षिक परीक्षा प्रणाली में पाठ्यक्रमों को रखना होगा यथावत
-पाठ्यक्रम में यूनिट की बाध्यता हटाकर देना होगा आंतरिक विकल्प
-तीन घंटे के बजाय 2 घंटेे का पेपर-पेपर में आनुपातिक रूप से 60 प्रतिशत प्रश्न हल करने का विकल्प
-परीक्षा केंद्रों पर थर्मल स्कैनिंग से तापमान जांच
-सेनेटाइजर की व्यवस्था जरूरी
विश्वविद्यालयों को प्रायोगिक परीक्षाएं 15 अप्रेल से प्रारंभ करनी होंगी। स्वयंपाठी डिग्री और डिप्लोमा कोर्स की परीक्षाएं भी इसी दिन शुरू करने को कहा गया है। नियमित विद्यार्थियों की परीक्षाएं 15 मई से शुरु करने को कहा गया है। बीए, बी.कॉम और बीएससी अंतिम वर्ष की वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन अन्य परीक्षाओं से पहले कराने को प्राथमिकता देनी होगी। पीजी प्रीवियस की परीक्षाएं अन्य कक्षाओं की परीक्षाओं के बाद कराई जाएंगी।
बीए, बीएससी और बी.कॉम तृतीय वर्ष की परीक्षाओं के नतीजे 31 जुलाई तक जारी करने जरूरी होंगे। ताकि विद्यार्थियों को कहीं प्रवेश अथवा रोजगार प्राप्ति करने में देरी नहीं हो। सेमेस्टर कोर्स की परीक्षाओं का फैसला विवि अपने स्तर ले सकेंगे।
एसीबी ने कॉलेज की सम्बद्धता, सीट बढ़वाने और परीक्षा केंद्र बनवाने की एवज में कुलपति आर. पी. सिंह, दलाल रणजीत सिंह और निजी कॉलेज प्रतिनिधि महिपाल को ट्रेप किया है। जिन कॉलेज में लेन-देन से परीक्षा केंद्र बने हैं, वे संदेह के घेरे में हैं। सरकार, राजभवन और एसीबी को इन पर ध्यान देना जरूरी होगा।