शातिर ठग ने 9 सितम्बर की रात्रि 10 बजे पुलिस कंट्रोल रूम तथा सर्किट हाउस में फर्जी आईएएस अफसर एस.के.शर्मा बन कर फोन किया। इस एसएचओ क्लॉक्ट टावर व सर्किट हाउस मैनेजर ने उससे बात की। एसएचओ ने फर्जी आईएएस के तीनों गुर्गों 10 सितम्बर की अल सुबह रेलवे स्टेशन से पुलिस जीप में सर्किट हाउस पहुंचवाया तथा मैनेजर ने कमरे उपलब्ध करवा दिए। वहीं जब सर्किट हाउस के मैनेजर को मामला संदेहास्पद लगा तो उन्होनें आईएएस अफसर के सम्बन्ध में एडीएम सिटी से बात की तथा उसका का नम्बर भी दिया।
एडीएम सिटी अरविंद सेंगवा ने जब फर्जी आईएएस से बात की तो वह सीएमओ में नियुक्ति का रौब दिखाने लगा इस पर सेंगवा ने कहा कि इस नाम का कोई अफसर सीएमओ में नहीं तो उसने कहा कि वह अजमेर आकर उनसे मिलेगा। इस पर सेंगवा को मामले में फर्जीवाड़े का अंदेशा हो गया। उन्होनें सर्किट हाउस मैनेजर तथा पुलिस को मामले में तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।
फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद फर्जी आईएएस अफसर ने तीनों गुर्गों को सर्किट हाउस छोडऩे के लिए फोन कर दिया। इस पर एक गुर्गा भाग निकाला जिसे पुलिस ने बस स्टैंड से पकड़ लिया। जबकि दो को सर्किट हाउस में पकड़ा गया।
आरोपियों को पुलिस ने शांतिभंग में पकड़ कर एडीए के समक्ष पेश किया गया यहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। लेकिन अगले दिन उन्होंने 1-1 लाख रुपए की तस्दीकशुदा जमानत पेश कर दी। इसके बाद एडीए ने एसपी व कलक्टर को भी मामले की जानकारी दी। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ 420 व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा।
पकड़ गए गुर्गों में एक पिता पुत्र तथा एक उनका पड़ोसी है। इनकी पहचान फर्जी आईएएस से भरतपुर के एक तहसीलदार के चैम्बर में हुई थी। उसने ही फर्जी आईएएस से इनका परिचय करवाया था। इसके बाद ये नौकरी के लालच में फर्जी आईएएस के कहने पर अजमेर पहुंचे तो स्वयं को ठगे जाने का अहसास हुआ। फर्जी ठग भरतपुर के नदबई तथा गुर्गे बैर के हैं।