बरसात के बाद नहीं मिलता पानी वन विभाग विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं, स्कूल, कॉलेज, स्काउट-गाइड, राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों की सहायता से जिले में पौधरोपण कराता है। बरसात होने तक पौधों को पानी मिल जाता है। मानसून के खत्म होते ही पौधे सूखना शुरू हो जाते हैं। वर्ष 2015 में तो विभाग को कम बरसात के चलते पौधरोपण भी रोकना पड़ा था।
गर्मी में ज्यादा संकट जिन पौधों ने जड़े नहीं पकड़ीं उन पर संकट मंडरा चुका है। वन क्षेत्र में लगने से वहां तक पानी का इंतजाम करना चुनौती है। विभाग के अधीन वन क्षेत्रों में पहाडिय़ां भी हैं। कई क्षेत्रों में पानी के टैंकर नहीं पहुंच सकते हैं। ऐसे में कई पौधे तेज धूप और गर्मी में खराब हो सकते हैं।
नहीं चलते 50 प्रतिशत पौधे पर्याप्त बरसात और तेज गर्मी से 40 से 50 प्रतिशत पौधे पानी के अभाव में दम तोड़ देते हैं। इस बार अप्रेल में अधिकतम तापमान 31 से 38 डिग्री के बीच बना हुआ है। मई- जून के बीच गर्मी में पौधों को बचाए रखना विभाग के लिए चुनौती है। मालूम हो कि पिछले दो साल में विभाग को कम बरसात के चलते पौधरोपण रोकना पड़ा है।
वरना हरा-भरा होता अजमेर वन विभाग और सरकार बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 30 से 40 लाख पौधे लगाए गए। पानी की कमी और सार-संभाल के अभाव में करीब 20 लाख पौधे तो सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।