पूर्व सरपंच मझेवला के पद पर रहते हुए जारी किए गए 14 पट्टों की जांच में ग्राम पंचायत द्वारा जारी सभी 14 पट्टे अनियमित रुप से जारी किया जाना पाए जाकर इस कृत्य के लिए मझेवला को उत्तरदायी बताया गया।
मझेवला के खिलाफ दूसरा आरोप है कि राजस्थान पंचायतीराज नियम 157 (2) के तहत 60 पट्टों की जांच करने से यह पाया गया कि ग्राम पंचायत द्वारा जारी सभी 60 पट्टे अनियमित रूप से जारी किए हैं। इस कृत्य के लिए भी मझेवला को उत्तरदायी ठहराया गया है।
मझेवला के जवाब के बाद मामले की जांच के लिए जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त कर जांच रिपोर्ट तलब की गई। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर लगाए गए आरापों को प्रमाणित माना।
महेन्द्र सिंह मझेवला ने अपने जवाब में कहा कि राजस्थान पंचायतीराज नियम में ऐसे परिवार जिनके पास कोई जमीन व घर नहीं है और जिनका वर्ष 2003 तक झुग्गी झोंपड़ी को गृह के तौर पर आबादी भूमि पर कब्जा है, उन्हें अधिकतम 300 वर्गगज तक का पट्टा जारी किया गया। जिसमें मेरी कोई भी गलत मंशा नहीं है। सभी गरीब परिवार हैं तथा इसमें किसी प्रकार की राजकोषीय हानि नहीं हुई है। पट्टा वितरण में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं की गई है।
महेन्द्र सिंह मझेवला वर्तमान में जिला परिषद सदस्य हैं। डीसी के फैसले को लेकर मझेवला के मौजूदा पद को लेकर भी संशय की स्थिति है। जिला परिषद में इस तरह का मामला पहली बार सामने आया है। हालांकि डीसी के आदेश में वर्तमान पद को लेकर कोई उल्लेख नहीं है। जानकारों का भी मानना है मझेवला के वर्तमान पद पर इस निर्णय का कोई असर पडऩा मुश्किल है।
मैने किसी को गलत पट्टा जारी नहीं किया है, आरोप गलत हैं। ये राजनीतिक द्वेषतापूर्ण मामला है। मेरा पक्ष सुने बगैर ही फैसला दिया गया है। पूर्व डीसी ने मेरी सुनवाई कर फाइल पर मुझे दोषमुक्त कर दिया था। आगे न्याय पालिका का दरवाजा खुला है।