गैंगस्टर आनन्दपालसिंह का जेल तोडऩे के मामले में तर्क था कि जेल तो बुझदिल, टुच्चे(छोटे) अपराधी तोड़ते है। वह तो जेल के बाहर पुलिस का पहरा तोड़कर उनकी आंखों के सामने से निकलेगा। पुलिस कुछ कर भी नहीं सकेगी।
नागौर डीडवाना में पेशी से लौट रहे आनन्दपाल सिंह ने पुलिस वाहन में सवार कमांडों व जवानों को नशीली मिठाई खिला कर निढाल कर दिया था। छोटे भाई विक्की ने पुलिस के वाहन पर हमला किया तो पुलिस कमांडों जवाबी कार्रवाई भी नहीं कर सके। आनन्दपाल सिंह पुलिस के हथियार से कमांडों शक्ति सिंह के पैर में गोली मार कर उसकी आंखों के सामने से निकल गया। इसके बाद विक्की गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह को किस रास्ते से भगाकर ले गया। इसका सुराग करीब डेढ़ साल तक पुलिस नहीं लगा सकी।
प्रदेश में आतंक का पर्याय बन चुका आनन्दपाल सिंह का पुलिस ने चुरू के मालासर में 24 जून 2017 को एन्काउंटर किया। यहां आनन्दपाल सिंह अपने परिचित के मकान में ठहरा हुआ था। यहां पुलिस मुठभेड़ में आनन्दपालसिंह की गोली लगने से मौत हो गई।