scriptकाश ! ऑक्सीजन समय पर मिल जाती, तो नहीं उजड़ता परिवार. . . | get oxygen on time | Patrika News
अजमेर

काश ! ऑक्सीजन समय पर मिल जाती, तो नहीं उजड़ता परिवार. . .

ऑक्सीजन के लिए अस्पतालों के लगाते रहे चक्कर, दम्पती की मौत, सदमे से बच्चियों की नानी की भी कार्डियक अटैक से घर में गई जान

अजमेरJul 23, 2021 / 02:32 am

CP

काश ! ऑक्सीजन समय पर मिल जाती, तो नहीं उजड़ता परिवार. . .

काश ! ऑक्सीजन समय पर मिल जाती, तो नहीं उजड़ता परिवार. . .

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. काश! समय पर ऑक्सीजन मिल जाती. . ऑक्सीजन सिलैंडर का सहारा मिल जाता. . . तो हंसते-खेलते परिवार की खुशियां नहीं उजड़ती। सांस लेने में दिक्कत हुई और सांसें उखडऩे लगी तो रोगी को सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां ठौर नहीं मिली तो प्राइवेट अस्पताल गए मगर यहां भी ऑक्सीजन सिलैण्डर की कमी ने परिवार के मुखिया की जान ले ली। यही नहीं आठ दिन बाद पत्नी की भी ऑक्सीजन की कमी से जूझते हुए मौत हो गई। अभी सदमे से दो बेटियां उभरी भी नहीं कि साथ रह रही नानी भी सदमे के कारण कार्डिय अटैक से घर में ही चल बसीं। 15 दिन के भीतर परिवार में तीन जनों की मौत के बाद आंखों से आंसूू भी सूख गए।
अजमेर के ब्यावर रोड सुन्दर नगर निवासी पेन्टिंग का काम करने वाले मुकेश शर्मा (45), पत्नी मीनू कुमारी (40) की कोरोना संक्रमण के चलते ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु हो गई। इनके साथ ही रह रही मीनू की मां इन्द्रा देवी की भी सदमे के चलते अटैक आने से मौत गई। मृतक मुकेश के साले राजकुमार शर्मा ने बताया कि कोविड होने पर मुकेश को अचानक सांस लेने में दिक्कत आने लगी। तत्काल उन्हें जवाहर लाल नेहरू नेहरू अस्पताल लेकर गए लेकिन वहां ऑक्सीजन बेड खाली नहीं होना बताने पर एक प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुंचे। मगर वहां भी ऑक्सीजन सिलैंडर की अनुपलब्धता बताई गई। मुकेश का ऑक्सीजन लेवल 38 आ गया और 28 अप्रेल को उनकी मौत हो गई। बाद में जीजी मीनू कुमारी को भी यही परेशानी हुई और 6 मई को उनकी भी कोरोना से मौत हो गई। घर में मातम छा गया। उनके साथ रह रही मीनू की मां सदमे में आ गई और 11 मई को कार्डिक अटैक से उनकी मौत हो गई।
दो बेटियों के सिर से उठा साया

परिवार में दो बेटियां बची हैं, जो पढ़ाई कर रही हैं। परिवार में हुए वज्रपात से उनके सपने बिखर गए। रो-रोकर उनका बुरा हाल हो गया। परिवार में उनके मामा राजकुमार ही अब उनका सहारा हैं। बड़ी बेटी युक्ति शर्मा (17) अब प्रथम वर्ष से प्रमोट हुई है जबकि दूसरी बेटी सलोनी शर्मा (15) दसवीं कक्षा पास है।
अब सरकार से मदद की दरकार

दोनों बेटियों की जिन्दगी संवारने, पढ़ाई पूरी करने एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की मदद का इंतजार है। मामा भी पेन्टिंग का काम कर परिवार चलाते हैं। राजकुमार ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व उनकी पत्नी की भी मौत हो गई थी अब मेरा सपना है कि बहन की दोनों बेटियां पढ़-लिखकर नौकरी पर लग जाएं।
आइएएस बनना है ख्वाब. . .

बड़ी बेटी युक्ति बताती हैं कि उसका बचपन से सपना आइएएस बनने का है। जबकि छोटी बेटी सलोनी पढ़ाई में होशियार होने से साथ अच्छी आर्टिस्ट है।

Home / Ajmer / काश ! ऑक्सीजन समय पर मिल जाती, तो नहीं उजड़ता परिवार. . .

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो