साल 2017 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने अजमेर, दौसा, बारां इंजीनियरिंग कॉलेज को सरकारी नियंत्रण में लेने का प्रस्ताव बना था। शैक्षिक और अशैक्षिक कार्मिकों का वेतनभार, वित्तीय स्थिति की सूचनाएं मांगी गई। लेकिन मामला कागजों में दब गया। बड़ल्या और माखुपुरा स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज को संघठक कॉलेज बनाने की इच्छा जताई। दुर्भाग्य से दोनों घोषणाएं पूरी नहीं हुई।
कॉलेज में विद्यार्थियों की फीस ही आय का जरिया हैं महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में सभी ब्रांच सेल्फ फाइनेंसिंग स्कीम में संचालित हैं। यहां छात्राओं लाखों रुपए फीस देनी पड़ती है। कोरोना संक्रमण में यूजीसी, एआईसीटीई, टेक्यूप और राज्य सरकार स्तर पर नया बजट मिलना मुश्किल है। सत्र 2020-21 में कॉलेज में ब्रांचवार सीट नहीं भरीं तो आर्थिक संकट बढ़ जाएगा।
राज्य के इंजीनियरिंग कोर्स में सीट-55 हजार से ज्यादा
कॉलेज की आय-एसएफएस सरकारी सीट की एवज में मिलने वाली फीस
सरकार से अनुदान (50 लाख से 1 करोड़ तक ही)
बी.टेक कोर्स फीस (चार साल)-2 लाख रुपए
एम.टेक कोर्स फीस (दो साल)-71 हजार रुपए
एमसीए कोर्स की फीस (दो साल)-62 हजार रुपए
एमबीए (दो साल)-77 हजार रुपए