scriptअजमेर के यह संत देते हैं बुजुर्गों को पैंशन, अपने खर्चे पर पढ़ाते हैं बच्चियों को | Good news: saint gives pention to older peoples, educate girls | Patrika News
अजमेर

अजमेर के यह संत देते हैं बुजुर्गों को पैंशन, अपने खर्चे पर पढ़ाते हैं बच्चियों को

जीवन में एक संत शिक्षा और सुविधापूर्ण आवास के रंग भर रहा है।

अजमेरFeb 20, 2018 / 04:10 pm

raktim tiwari

saint krshinand in ajmer

saint krshinand in ajmer

महावीर भट्ट/पुष्कर

आखों से दुनिया का सतरंगी नजारा नहीं देख पा रही प्रदेश के विभिन्न स्थानों की 15 द़ृष्टिबाधित बालिकाओं के जीवन में एक संत शिक्षा और सुविधापूर्ण आवास के रंग भर रहा है।
विश्वमित्र जनसेवा संस्थान के संत स्वामी कृष्णानन्द के सानिध्य में अजमेर के शास्त्री नगर में श्री आनन्दम में चल रहे लाड़ली घर में प्रदेश के अलवर, उदयपुर कोटा , दूदू, फुलेरा सहित विभिन्न स्थानों से 15 बालिकाएं रह रही है।
संत कृष्णानंद अपनी भागवत कथा के दौरान मिलने वाले भेंट राशि से इसका संचालन कर रहे है। यहां प्रधानाध्यापक सीताराम कुमावत जो खुद भी दृष्टिबाधित है। बालिकाओं को ब्रेल लिपी से पढ़ाते है। अलवर की 11 वर्षीय रेखा ने से जब पूछा गया तो उसने बताया कि हम यहां पर बहुत खुश है।
वहीं 6 वर्षीय नीलम ने संत कृष्णानंद का हाथ पकड़ कर खड़ी हो गई। उसने कहा कि मै घर नहीं जाना चाहती। उदयपुर की ज्योति नामक 12 वर्षीय दृष्टि बाधित बालिका ने बताया कि वह यहां पढ़ाई करती है। इसी प्रकार से सोजत मारवाड़ की 9 वर्षीय गायत्री तथा 6 वर्षीय नीलम भी बहुत खुश नजर आई।
बालिकाओं के परिजन समय समय पर आकर इन्हें संभालते भी है। परिजनों से केवल बालिका के जन्म दिन मनाने के लिए केवल भोजन के लिए सहयोग लिया जाता है। अन्य सारा खर्चा संस्थान ही वहन करती है।
पुष्कर के 17 वृद्धों को पेंशन

पुष्कर के सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के अधीन संचालित वृद्धाश्रम में 17 बुजुर्गों को भी संस्थान की ओर से प्रति माह दौ सौ रुपए की पेंशन दी जाती है। बाहर के 7 वृद्ध भी गोद ले रखे है। उनको 500 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जाती है।
इसी प्रकार की राजस्थान व मध्यप्रदेश की करीब 25 अनाथ बालिकाओ को भी प्रतिमाह 500 रुपए की सहायता पढ़ाई के लिए सहायोग के रूप में उनके बैंक खाते में जमा कराई जाती है।

नहीं लेते किसी से सहायता
लाड़ली घर चला रहे विश्व मित्र जन सेवा संस्थान के संस्थापक संत कृष्णानन्द का कहना है कि इन द़ृष्टिबाधित बालिकाओं का जीवन संवारने के प्रकल्प में वे किसी से कोई आर्थिक सहायता व दानराशि नहीं लेते है।

Home / Ajmer / अजमेर के यह संत देते हैं बुजुर्गों को पैंशन, अपने खर्चे पर पढ़ाते हैं बच्चियों को

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो