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अजमेर

1836 में शुरू हुआ था सफर, 181 साल बाद मिली इस कॉलेज पहली महिला प्राचार्य

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अजमेरAug 01, 2018 / 09:09 am

raktim tiwari

first women principal

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ब्रिटिशकाल में स्थापित सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में बुधवार को इतिहास बन गया। यहां डॉ. स्नेह सक्सेना ने प्राचार्य पद संभाल लिया। 181 साल में यह पहला अवसर है जबकि कॉलेज की कमान महिला प्राचार्य को सौंपी गई है।
जीसीए में ही बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की शिक्षक रहीं डॉ. स्नेह सक्सेना का पिछले दिनों पुष्कर से अजमेर स्थानांतरण किया गया था। बुधवार को उन्होंने कॉलेज में प्राचार्य पद संभाल लिया। इस दौरान कॉलेज के शिक्षकों, कर्मचारियों, छात्र-छात्राओं ने उनका स्वागत किया। महिला शिक्षकों और छात्राओं में विशेष खुशी नजर आई। उन्होंने डॉ. सक्सेना को बुके देने के अलावा माल्यार्पण किया। मालूम हो कि डॉ. सक्सेना ने कोटा के जेडीबी गल्र्स कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की है। वे छात्र जीवन में उत्कृष्ट खिलाड़ी भी रही हैं।
जीसीए के लिए गौरवशाली क्षण

कॉलेज में ब्रिटिशकाल के मारकूज हेयर, डॉ. फालन, पोर्टर, सी. बुच, प्रो. जे. एफ. गोल्डिंग, एफ. एल.रीड, ई. एफ. हैरिस से डॉ. एस. के. देव तक पुरुष ही प्राचार्य रहे थे। बुधवार को कॉलेज के लिए गौरवशाली क्षण रहा। यहां पहली बार महिला प्राचार्य ने कमान संभाली है।
बेकार हो गए 800 कार्ड
प्रो. श्रीमाली ने दीक्षान्त समारोह की सभी तैयारियां पूरी करा दी थी। उनकी मंशानुसार 21 जुलाई को ही प्रिंटिंग फर्म ने 800 निमंत्रण पत्र मुद्रित कर विश्वविद्यालय को सौंप दिए थे। इसमें राज्यपाल कल्याण सिंह के अलावा दीक्षान्त भाषण के बतौर बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व सीएमडी डॉ. अनिल खंडेलवाल, शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल के नाम लिखवाए गए। इस बीच कुलपति के निधन से सभी कार्ड बेकार हो गए।
हजारों रुपए की चपत

विश्वविद्यालय को कार्ड छपाई की एवज में हजारों रुपए की चपत लग गई। अब नई तिथि या अगले वर्ष दीक्षान्त समारोह होने पर दोबारा कार्ड छपवाने होंगे। इसके अलावा विश्वविद्यालय समारोह के दौरान मंच पर लगाने के लिए बड़ा फ्लैक्स भी प्रिंट करा चुका था। कार्ड प्रिंटिंग करने वाली फर्म ने विश्वविद्यालय को बिल देकर भुगतान भी मांगा है।
वरना विलम्ब तय…
विश्वविद्यालय में 12 दिन से कुलपति पद रिक्त है। मुख्यमंत्री की 4 अगस्त से सुराज गौरव यात्रा शुरू होगी। वे 30 सितम्बर तक प्रदेश भर का दैारा करेंगी। इस लिहाज से सरकार और राजभवन के पास ज्यादा वक्त नहीं है। इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। समय रहते कुलपति की नियुक्ति नहीं हुई तो फिर विलम्ब होना तय है।

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