अजमेर

सरकार ने अघोषित बिजली कटौती पर मांगी रिपोर्ट

अधिकारियों ने स्वीकारा हो रही है बिजली कटौती
कलक्टर को भेजा कटौती का ब्यौरा
अजमेर डिस्कॉम

अजमेरJul 15, 2021 / 10:07 pm

bhupendra singh

अजमेर. लोड शेडिंग के नाम पर औसतन दो घंटे की अघोषित बिजली कटौती को सरकार गंभीरता से लिया है। राज्य के मुख्य सचिव ने इस मामलें में जिला कलक्टर से रिपोर्ट तलब की है। जिला कलक्टर ने अजमेर सिटी व जिला सर्किल तथा टाटा पावर से तथ्यात्मक रिपोर्ट देने के लिए पत्र लिखा है। वहीं अजमेर जिले के दोनों अधीक्षण अभियंताओं ने माना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग व आपूर्ति में अंतर होने के कारण लोड शैडिंग से यह कटौती हो रही है। अपने जवाब में यह कहा कि यह कटौती विद्युत लाइन फॉल्ट होने, आंधी तूफान आने तथा रखरखाव के लिए शटडाउन के लिए भी करनी पड़ती है। इसके बावजूद अघोषित बिजली कटौती के रोकथाम के लिए संपूर्ण उपाय नहीं हो पा रहे हैं। हालत यह है कि अप्रैल माह से ही मानसून मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कटौती की जाती है जबकि बरसात आने से पहले तक पावर कट बना रहता है।राजस्थान पत्रिका ने उठाया मुद्दा
औसत दो घंटे की बिजली कटौती का मुद्दा राजस्थान पत्रिका ने उठाया था। आरआरवीपीएन के 220 केवी जीएसएस तथा डिस्कॉम के 33 केवी जीएससी के जरिए लोड शेडिंग तथा ट्रिपिंग के नाम पर हो रही बिजली कटौती की जानकारी दी गई थी। इसके बाद सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए रिर्पोट मांगी है।
छीजत कम करने के लिए भी होती है कटौती

डिस्कॉम में कई इलाकों में कई जगह जहां विद्युत छीजत अधिकत है वहां पर इसे कम करने के लिए अघोषित कटौती की जाती है। जिससे विद्युत चोरों को चोरी करने का मौका ना मिले और छीजत नियंत्रण में रहे और अभियंताओं को अपनी छवि सुधारने का मौका मिले। कई बार वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में जीएसएस मेंटेनेंस और लाइन मेंटेनेंस के नाम पर घंटों विद्युत कटौती की जाती है जिससे निगम को टीएनडी लॉस कम करने में सहायता होती है।
कटौती से कम होते हैं कम्पनी के लॉस

सभी बिजली कम्पनियां अपने लाइन लॉस कम दर्शाने के लिए अघोषित विद्युत कटौती को हथियार के रूप में इस्तेमाल करती हैं। क्योंकि जब विद्युत आपूर्ति नहीं की जाती तो उसमें नुकसान कि आशंका भी नहीं होती है। इसी कारण सभी बिजली कम्पनियों में जनवरी के बाद सर्वाधिक बिजली कटौती होती है।
उठाए जाते हैं मेंटेनेंस के नाम पर बिल

बिजली कम्पनियों में प्रतिवर्ष मेंटीनेंस के नाम पर खानापूर्ति कर करोड़ों के बिल उठाए जाते हैं। पेड़ों की कटाई, ढीले तारों को टाइट करना, टेढ़े खंभों को सीधा करना आदि कार्य भी मेंटेनेंस जैसे कार्य में शामिल होता है जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं होता है तथा मौके पर भी इसका कोई सबूत नहीं मिलता है। मेंटेनेंस के बिल बिना पारदर्शिता के बनाए जाते हैं जिसमें अभियंता व ठेकेदारों के द्वारा ही मिलीभगत होती है जिसका कोई वास्तविक रिकॉर्ड नहीं होता है।
read more: बकाया है 17 हजार 926 करोड़ की सब्सिडी, कैसे फायदे में आएं बिजली कम्पनियां

Hindi News / Ajmer / सरकार ने अघोषित बिजली कटौती पर मांगी रिपोर्ट

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.