हाल ही में पत्रावलियों को संभाग स्तर की सर्किट बैंचों में ही रखे जाने की कवायद से वकीलों में नाराजगी है। इस संबंध में राजस्व बार एसोसिएशन का एक शिष्टमंडल राजस्व मंडल वी. श्रीनिवास से मिला। वकीलों का कहना था कि इससे तो राजस्व मंडल का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। इस संबंध मे मंडल अध्यक्ष श्रीनिवास ने वकीलों से चर्चा की।
सर्किट बैंच की मांग दरअसल हाइकोर्ट में सीकर के एक अधिवक्ता ने याचिका दायर कर पत्रावलियों को सर्किट बैंच में स्थायी रूप से रखे जाने की मांग की। हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए यह कार्य राज्य के अधीन होना बताया। याचिका कर्ता ने उक्त आशय के आदेश को मंडल अध्यक्ष को प्रेषित कर दिया। तब मंडल अध्यक्ष श्रीनिवास से राय जानी गई।
मैन्युअल में स्पष्ट उल्लेखित राजस्व बार के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह राठौड़ का कहना है कि रेवेन्यू कोर्ट मैन्युअल में स्पष्ट उल्लेखित है कि कोई भी प्रकरण पेश होने के बाद पहले मंडल मुख्यालय अजमेर आएगा। यहां दर्ज होने की कार्रवाई के बाद संबंधित कोर्ट या सर्किट बैंच में पत्रावली भेजी जाएगी। अब स्थिति यह बन रही है कि पत्रावलियां सर्किट बैंच में ही रहेंगी।
जयपुर बैंच में 1700 प्रकरण ऐसे में कोई नई अर्जी या केवियट लगने पर यहां के वकीलों को पता ही नहीं लगेगा कि प्रकरण में कौनसी पत्रावली लगी है। करीब 10 हजार प्रकरण विभिन्न संभागों की सात सर्किट बैंचों में है। इसमें अकेले जयपुर में बैंच में करीब 1700 प्रकरण हैं।