परिवादिया ने बताया कि उसके खिलाफ दर्ज चोरी के झूठे मुकदमें में अनुसंधान के लिए हैडकांस्टेबल सुनीलकुमार पहली मर्तबा 22 मई को जयपुर आया तो उसने डेढ़ लाख रुपए की डिमांड की। जिसमें रिश्वत की रकम का बड़ा हिस्सा रामगंज थानाप्रभारी तक पहुंचाने की बात कही लेकिन उसने डिमांड बड़ी होने से देने से इनकार कर दिया। इस पर वह उसके पास उपलब्ध रकम पर ही उसकी मदद करने को राजी हो उससे दस हजार रुपए लेकर आ गया।
फिर मांगे, तो की शिकायत. . . इसके बाद उसने फिर रकम की मांग की तो परिवादियां ने जयपुर एसीबी को शिकायत कर दी। एसीबी ने 21 जुलाई को सत्यापन के कुछ घंटे बाद ही जाल बिछा दिया। जोधपुर ट्रेनिंग सेंटर से मोबाइल फोन पर बात कर रहे सुनील ने रिश्तेदार अमित उर्फ दीपक को रिश्वत की रकम लेने भेज दिया। जिसको एसीबी ने रंगेहाथ ट्रेप कर लिया।
मुकदमे के बदले मुकदमा
परिवादिया ने बताया कि उसने जयपुर महिला थाने में अक्टूबर 2020 में महाराष्ट्र नागपुर निवासी पति, ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताडऩा व घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करवाया। दर्ज मुकदमे को दबाने के लिए पति ने उसकी रिश्तेदार चन्दवरदाई नगर निवासी कांता विश्वा को हथियार बना 9 नवम्बर 2020 को चोरी का झूठा मुकदमा दर्ज कराया। पीडि़ता ने बताया कि जब उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया तब वह अजमेर में मौजूद ही नहीं थी लेकिन उसके बावजूद पुलिस ने मिलीभगत कर उसके मुकदमा दर्जकर लिया।
पुत्री को जबरन ले गए ससुराल वाले पीडि़ता ने बताया कि ससुराल में प्रताडऩा के बाद वह सितम्बर 2020 में नागपुर से अजमेर पीहर आ गई। ससुराल वालों की प्रताडऩा यहां भी जारी रही तो वह 12 अक्टूबर 2020 को पीहर में बेटी को छोड़कर बिना बताए निकल गई। ससुराल पक्ष उसकी बेटी को जबरन ले गए। उसके बिना बताए निकलने से पीहर पक्ष ने अलवरगेट थाने में गुमशुदगी दर्ज करवाई। इसके बाद पीहर पक्ष ने भी दूरियां बना ली।
जयपुर पुलिस ने सचेत किया था
परिवादिया ने बताया कि हैडकांस्टेबल सुनील कुमार की ओर से बार-बार परेशान किए जाने पर जयपुर मानसरोवर थाने के पुलिस अधिकारी ने भी कानून का हवाला देते हुए परिवादिया को प्रताडि़त ना करने की नसीहत दी थी लेकिन उसके बाद भी सुनील उस पर रकम देने का दबाव बनाने लगा तो उसने एसीबी को शिकायत कर दी।