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अजमेर

ICCC: स्टूडेंट्स दिखाएंगे इंटर कॉलेज कल्चरल फेस्ट में जलवा

विभिन्न कॉलेज के 300 से ज्यादा प्रतिभागी विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से यूनिवर्सिटी समूचा कैंपस गुलजार होगा।

अजमेरJan 22, 2024 / 05:42 pm

raktim tiwari

Students performs in Inter college cultural festival

Students performs in Inter college cultural festival

पढ़ाई में खोए रहने वाले विद्यार्थियों के लिए दो दिन खास होंगे। रंगमंच पर शानदार परफॉरमेंस दिखाने का अवसर मिलेगा। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के तत्वावधान में मंगलवार-बुधवार को अन्तर कॉलेज सांस्कृतिक कार्यक्रम (आईसीसीसी) का आयोजन किया जायेगा। इसमें विभिन्न कॉलेज के 300 से ज्यादा प्रतिभागी विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे।

डीन छात्र कल्याण प्रो. शिवप्रसाद ने बताया कि विकसित भारत-20247 थीम पर कार्यक्रम होंगे। इस दौरान ऑन स्पॉट पेंटिंग, कोलाज, पोस्टर मेकिंग, क्ले मॉडलिंग, रंगोली, स्पॉट फोटोग्राफी, मेहंदी, क्विज, इलोक्यूशन, वाद-विवाद, वन एक्ट प्ले, स्किट, माइम, मिमिक्री, समूह गायन, लोक नृत्य, जनजातीय नृत्य, शास्त्री नृत्य,एकल गायन, वाद्य यंत्र वादन और अन्य प्रतियोगिता होगी। विद्यार्थी रंगमंच पर अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

पढ़ें यह खबर भी: शिक्षक बनें सृजनशील, सामाजिक जागरूकता की दरकार

अजमेर. प्राचीनकाल में शिक्षक पर समाज और राज्य शिक्षा की दशा और दिशा तय करने की जिम्मेदारी शिक्षक के कंधों पर होती थी। स्वाधीनता के बाद राज्य शिक्षा को नियंत्रित करता है। यह स्थिति बदलने की जरूरत है। यह बात महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्राे. अनिल कुमार शुक्ला ने समाजशास्त्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी की चार पुस्तकों के विमोचन समारोह में कही। उन्होंने कहा कि आज शिक्षक राज्य की ओर देखता है। आजादी के बाद लिखा गया साहित्य राष्ट्र केंद्रित नहीं होकर पश्चिमी प्रभाव में है। विशिष्ट अतिथि भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि शिक्षकों को सृजनशील, शोधरत होना चाहिए। भारत की शिक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन के लिए समाज में जागृति जरूरी है।

भावों को अनुभूत करें

विशिष्ट अतिथि अजमेर-दक्षिण की विधायक अनिता भदेल ने कहा कि हमें समाज के भावों को अनुभूत कर लेखन करना चाहिए। जेल प्रशिक्षण संस्थान के राकेश मोहन शर्मा ने लेखन में भारतीय समाज की आवश्यकता और चिंतन पर जोर दिया। इस दौरान समाजशास्त्र एक परिचय, सामाजिक नियंत्रण एवं परिवर्तन, समाजशास्त्रीय सिद्धांतों की विवेचना, सामाजिक विचारक पुस्तक का विमोचन किया गया।

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