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अजमेर

नासूर बनता अवैध खनन,पत्थरों का विकल्प मिले तो सुधरें हालात

पैराफेरी गांवों में खनन माफिया लील रहे पहाड़, भवन निर्माण में पत्थरो ंका विकल्प तलाशने की दरकार

अजमेरOct 14, 2021 / 02:27 am

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नासूर बनता अवैध खनन,पत्थरों का विकल्प मिले तो सुधरें हालात

नासूर बनता अवैध खनन,पत्थरों का विकल्प मिले तो सुधरें हालात

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. अरावली पर्वत श्रृंखला के हिस्सों को चुन-चुनकर खनन माफिया निशाना बना रहा है। कहीं राजस्व विभाग की पहाड़ी तो कहीं एडीए सहित अन्य विभागों के क्षेत्र की जमीन पर पत्थरों का अवैध खनन जारी है। खासकर पैराफेरी गांवों में लोगों ने चिनाई पत्थरों के अवैध खनन को ही आमदनी का स्थाई मुख्य जरिया बना रखा है। जबकि मकानों के निर्माण में पत्थरों के विकल्प पर भी गौर की जरूरत है। हालांकि बड़े अपार्टमेंट, बिल्डिंग में सीमेन्ट-एश ब्रिक्स का भी उपयोग होने लगा है।
अजमेर जिले के कुछ गांव ऐसे हैं जहां अवैध खनन लम्बे समय से चल रहा है। अवैध खननकर्ता भी अब एडीए की जमीन में पहाडिय़ों के अलावा जमीन में खदानें खोदकर अवैध खनन में जुटे हैं। इन जगहों पर खनन विभाग की कभी कभार दबिश के बाद कुछ दिन खनन थमता है मगर फिर रफ्तार पकड़ लेता है।
खरेखड़ी में पहाड़ी हो रही साफ, अवैध खनन जारी

खरेखड़ी गांव की पहाड़ी में दिन-रात जेसीबी मशीनें, ब्लास्ट से अवैध खनन चल रहा है। ट्रेक्टर ट्रॉलियों से अवैध खनन कर पत्थरों का परिवहन अजमेर शहर में एवं पुष्कर में सप्लाई करते हैं।
नारेली की पहाडिय़ों को भी नुकसान

नारेली क्षेत्र की पहाडिय़ों में भी पत्थरों का अवैध खनन हो रहा है। गत दिनों नारेली क्षेत्र में अवैध खनन के दौरान खान ढहने से एक श्रमिक की मौत हो गई थी। लेकिन उसके बावजूद सिलसिला थमा नहीं है। आसपास की पहाडिय़ों पर पत्थरों का खनन अभी भी जारी है।
खोड़ा गणेश, बूबानी क्षेत्र भी निशाने पर

पत्थरों के अवैध खनन से खोड़ा गणेश की पहाड़ी, बूबानी की पहाडिय़ां भी खोखली हो रही हैं। यहां लगातार अवैध खनन होने पर एक दिन पूर्व ही खनन विभाग व पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई की थी।
बाड़ी क्षेत्र से भी निकासी

पुष्कर से नागौर रोड पर बाड़ी घाटी स्थित पहाड़ी भी अवैध खनन से चट हो चुकी है।

इतनी है पत्थरों की डिमांड

200 ट्रॉली की अजमेर शहर में प्रतिदिन डिमांड
200 ट्रॉली व डम्पर बजरी की डिमांड अजमेर शहर में प्रतिदिन

500 ट्रॉली पत्थर की प्रतिदिन अजमेर जिले में खपत

अब विकल्प के रूप में सीमेन्ट की ईंटें/आरसीसी के पिलर

शहर में आधुनिक तकनीक से मकानों, बड़े बंगले, अपार्टमेंट का निर्माण हो रहा है। नींव से ही आरसीसी के पिलर डालकर बिल्ंिडग खड़ी की जा रही हैं। सामान्य ईंटों के अलावा सीमेन्ट के ब्लॉक्स/ईंटें पत्थरों की जगह काम में ले रहे हैं।
यहां बढ़ी पत्थर की मांग

20 से अधिक क्रेशर अजमेर व आसपास संचालित हैं।

300 ट्रेक्टर ट्रॉली पत्थरों की प्रतिदिन पत्थरों की दरकार है क्रेशर में।

इनमें काम आ रही स्टोन ग्रिट
सड़क निर्माण, सरकारी भवनों में आरसीसी के पिलर, छतों के निर्माण में पत्थर की गिट्टी-छर्रा काम आ रहा है। जिस तेजी से डिमांड आ रही है उसी गति से पहाड़ों में पत्थरों का खनन भी हो रहा है। इसमें वैध से अधिक अवैध खनन कर क्रेशर पर पत्थरों की सप्लाई की जा रही है।
एक्सपर्ट व्यू

विकल्प पर ध्यान देने की जरूरत

मकान निर्माण में पत्थरों की निर्भरता कम करने के लिए विकल्प पर ध्यान देने की जरूरत है। अब मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में सीमेन्ट एवं एश के ब्रिक्स का उपयोग होने लगा है। होलो ब्रिक्स भी इन बिल्डिंग में काम लेने लगे हैं। अगर पत्थरों की डिमांड इसी तरह बढ़ती गई तो पर्यावरण को खतरा उत्पन्न हो सकता है।
प्रो, सुब्रतो दत्ता, पर्यावरण विशेषज्ञ एमडीएस यूनिवर्सिटी

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