हाल में नवनियुक्त आईपीएस ने शराब के ठेके पर छापा मार कार्रवाई जरूर की। यहां शराब के ठेके के पीछे बनाए गए चोर दरवाजे से धड़ल्ले से शराब की बिक्री हो रही थी। हालांकि जिम्मेदार आबकारी विभाग शहर में खुले अवैध शराब के ठेकों से अन्जान रहे। पुलिस अधिकारी के बुलाने पर ही उन्होंने पहुंचना मुनासिब समझा।
केस-1 जयपुर रोड घूघरा घाटी स्थित शराब का ठेका। शराब के खरीदार ठेके के बाहर लगी जाली तक पहुंचने के बाद भीतर आवाज लगाते हैं। ब्रांड का नाम पूछने के बाद बोतल जाली से बाहर और पैसा अंदर। आबकारी अधिकारी कार्यालय से कुछ कदम दूर यह सिलसिला दिनभर चलता रहता है। लेकिन जिम्मेदार आबकारी विभाग के अधिकारी कही नजर तक नहीं आए।
केस-2 माकड़वाली रोड स्थित शराब की दुकान के पास गली में सेल्समैन स्कूटर पर बैठा रहता है। वह ग्राहक से ब्रांड का नाम पूछकर पैसे ले लेता है। दूसरा सेल्समैन नजरें बचाकर ग्राहक के बताए ब्रांड की बोतल लाकर थमा देता है। खास बात यह थी कि सेल्समैन और उसका साथी गली में बोतल दिखाए बगैर शराब की बिक्री कर रहे हैं।
केस-3 मुस्लिम मोची मोहल्ला में एक युवक बंद दुकान के बाहर बगल में रखी टंकी (जिसमें ठंडी बियर की बोतलें रखी थी) और कट्टे में शराब की बोतल लेकर बैठता है। ग्राहक यहां कुछ देर के लिए थमते और पैसे देकर शराब खरीद कर आगे बढ़ जाते हैं।
फिर कैसा सूखा दिवस? प्रदेश में हर साल शहीद दिवस पर सूखा दिवस घोषित किया जाता है। वहीं 29 जनवरी को हुए लोकसभा उप चुनाव के मद्देनजर 28 और 29 जनवरी को शराब के ठेके बंद रखे गए थे। ऐसे में 30 जनवरी को शहीद दिवस पर ड्राई-डे पर शराब का ठेका बंद होने से शराब ठेकेदारों का सब्र टूट गया।
शहर में अधिकांश शराब की दुकान और उसके आसपास से बिक्री शुरू हो गई। गौरतलब है कि जिला कलक्टर गौरव गोयल ने जिला आबकारी अधिकारी को लोकसभा उप चुनाव के दौरान रात 8 बजे बाद या शराब बंदी के दौरान शराब का ठेका खुलने पर लाइसेंस निलंबित करने के आदेश दिए थे।