मैं सहयोग के लिए सदैव तैयार
झुनझुनवाला ने कहा कि भले ही आप चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन मैं सहयोग के लिए हमेशा तत्पर हूं। आप जब भी याद करेंगे मैं अजमेर हाजिर हो जाऊंगा। मालूम हो कि दोपहर 12 बजे तक चौधरी की बढ़त 2 लाख 40 हजार तक पहुंच गई है।
झुनझुनवाला ने कहा कि भले ही आप चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन मैं सहयोग के लिए हमेशा तत्पर हूं। आप जब भी याद करेंगे मैं अजमेर हाजिर हो जाऊंगा। मालूम हो कि दोपहर 12 बजे तक चौधरी की बढ़त 2 लाख 40 हजार तक पहुंच गई है।
एक साल पहले ये हाल
तत्कालीन सांसद और जल संसाधन राज्यमंत्री प्रो. सांवरलाल जाट की 2017 में मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद जनवरी 2018 में अजमेर संसदीय क्षेत्र के लिए उप चुनाव हुए। कांग्रेस की तरफ से डॉ. रघु शर्मा और भाजपा से जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा ने चुनाव लड़ा। डॉ. शर्मा ने 80 हजार से ज्यादा मतों से लांबा को शिकस्त देकर कांग्रेस को विजयी बनाया। उस वक्त प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार के कामकाज को लेकर जनता में काफी नाराजगी रही थी। इसका कांग्रेस को फायदा मिला था।
तत्कालीन सांसद और जल संसाधन राज्यमंत्री प्रो. सांवरलाल जाट की 2017 में मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद जनवरी 2018 में अजमेर संसदीय क्षेत्र के लिए उप चुनाव हुए। कांग्रेस की तरफ से डॉ. रघु शर्मा और भाजपा से जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा ने चुनाव लड़ा। डॉ. शर्मा ने 80 हजार से ज्यादा मतों से लांबा को शिकस्त देकर कांग्रेस को विजयी बनाया। उस वक्त प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार के कामकाज को लेकर जनता में काफी नाराजगी रही थी। इसका कांग्रेस को फायदा मिला था।
मुख्य चुनाव में पलटा पासा
17 वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त तरीके से वापसी की। महज एक साल बाद भाजपा ने कांग्रेस को पीछे धकेल कर वापस अजमेर संसदीय सीट पर अपना कब्जा जमाया। काफी हद तक कांग्रेस के बड़े नेताओं के अजमेर संसदीय क्षेत्र से चुनाव नहीं लडऩे, नए प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने से यह स्थिति बनी। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियों को आधार बनाकर चुनाव लड़ा। इसके आधार पर उसे कामयाबी मिली।
17 वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त तरीके से वापसी की। महज एक साल बाद भाजपा ने कांग्रेस को पीछे धकेल कर वापस अजमेर संसदीय सीट पर अपना कब्जा जमाया। काफी हद तक कांग्रेस के बड़े नेताओं के अजमेर संसदीय क्षेत्र से चुनाव नहीं लडऩे, नए प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने से यह स्थिति बनी। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियों को आधार बनाकर चुनाव लड़ा। इसके आधार पर उसे कामयाबी मिली।