लेब में विद्यार्थियों की हिन्दी और अंग्रेजी भाषा दक्षता बढ़ाने पर खास ध्यान दिया जाना है। इसमें संस्कृत, राजस्थानी और उर्दू भाषा भी शामिल होंगी। कॉलेज में एक समिति का गठन किया जाएगा। संबंधित भाषाओं के वरिष्ठ व्याख्याता अथवा प्राचार्य समिति के समन्वयक होंगे। समिति में प्रत्येक भाषा विभाग से एक व्याख्याता को सदस्य बनाया जाएगा। इसके बाद बनने वाले उप समूह में भाषा विभाग के सभी व्याख्याता और स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थी सदस्य होंगे।
-स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के साथ साहित्यिक संवाद -प्रतिमाह दो बार अन्तर भाषा संगोष्ठी और अन्तर भाषा संवाद कार्यक्रम
-अंग्रेजी भाषा विकास से जुड़े कार्यक्रम -स्थानीय, प्रादेशिक अथवा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता
-विद्यार्थियों के लिए लेखन, संवाद प्रतियोगिता
हिंदी, मराठी, कोंकणी, सिंधी, उर्दू, अंग्रेजी, राजस्थानी, गुजराती, भोजपुरी, असमी, तेलुगू, तमिल, मलयालम, ओडिशी, बंगाली, पंजाबी, छत्तीसगढ़ी, मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाडी, खैसरी, गमती, निमाड़ी, बंजारी, धंधुरी, कौरवी खड़ी बोली, पोआली, लरिया, भोजपुरी, मैथिली, मगही, गिलगिती, किश्तवाड़ी, लहंदा, पोंगुली, भुजवाली, धेनकनाल, किसनगैंजिया, मुल्तानी, कच्छी, कोंकणी और अन्य