अजमेर के लॉ कॉलेज में प्रथम वर्ष की 240 सीट पर दाखिले शुरू नहीं हो पाए हैं। सत्र 2018-19 के चार महीने निकल चुके हैं। कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने हमेशा की तरह बार कौंसिल ऑफ इंडिया की मंजूरी के बगैर दाखिले नहीं करने की शर्त लगाई है। इससे कॉलेज की परेशानी और बढ़ गई है।
बीसीआई-सरकार आमने-सामने संसाधनों की कमियां पूरा करने के लिए सरकार ने पिछले सत्र में बीसीआई को अंडर टेकिंग दी थी। इनमें से सिर्फ कॉलेज में तीन-तीन व्याख्याताओं की नियुक्ति हुई है। खेल मैदान, परिसर में पर्याप्त कमरे, कम्प्यूटर लेब, स्थाई प्राचार्य, सह शैक्षिक स्टाफ, खेल प्रशिक्षक की कमी यथावत है। कोई लॉ कॉलेज यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ में पंजीकृत भी नहीं है।
बीसीआई की मंजूरी का इंतजार बीसीआई ने झालवाड़ सहित अजमेर, सीकर, भीलवाड़ा, नागौर, बूंदी और अन्य कॉलेज को प्रथम वर्ष के दाखिले को मंजूरी नहीं दी है। चुनाव आचार संहिता होने से सरकार भी कुछ खास दबाव नहीं बना सकती है। केवल उच्च-तकनीकी शिक्षा विभाग और कॉलेज शिक्षा निदेशालय के अधिकारी ही कुछ कर सकते हैं।
छात्रों में बढ़ी नाराजगी छात्रसंघ अध्यक्ष रचित कच्छावा, महासचिव धर्मेन्द्र बाज्या, संयुक्त सचिव मुकेश मेघवाल, उपाध्यक्ष संजय परसोया और अन्य ने बताया कि प्रथम वर्ष के प्रवेश में विलम्ब हो रहा है। छात्रों ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य सुरेश चंद्र श्रीमाली, जिला बार ऐसोसिएशन अध्यक्ष अजय त्रिपाठी, राजस्थान बार ऐसोसिएशन के सचिव आर. पी. मलिक से संपर्क किया। छात्रों ने चेताया कि कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
बीसीआई स्तर पर लॉ कॉलेज की प्रवेश मंजूरी पर निर्णय लिया जाना है। प्रथम चरण में कुछ कॉलेज को अनुमति मिली है। द्वितीय चरण में अजमेर और अन्य कॉलेज के पत्र जारी होंगे।
डॉ. डी. के. सिंह प्राचार्य लॉ कॉलेज