साल 2005 में स्थापित लॉ कॉलेज से प्रतिवर्ष महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष सम्बद्धता फीस वसूलता है। इसके बाद वह टीम भेजकर कॉलेज का निरीक्षण कराता है। निरीक्षण रिपोर्ट में शिक्षक, संसाधन, पुस्तकालय, कम्प्यूटर, खेल मैदान और अन्य सुविधाओं का ब्यौरा होता है। इसके आधार पर कॉलेज को पाठ्यक्रम संचालन और दाखिलों के लिए एक साल की अस्थाई सम्बद्धता देता हैं। इसी प्रक्रिया के तहत बुधवार को विश्वविद्यालय की टीम कॉलेज का दौरा करेगी।
तीन साल की सम्बद्धता पर नहीं विचार बीसीआई ने सभी विश्वविद्यालयों को लगातार तीन साल की सम्बद्धता देने को कहा है। इसको लेकर लॉ कॉलेज ने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय और सरकार को कई पत्र भेजे पर कोई जवाब नहीं मिला है। कॉलेज ने विश्वविद्यालय को सत्र 2018-19, 2019-20 और 2021-22 का एकमुश्त सम्बद्धता शुल्क भी जमा करा दिया है। फिर भी स्थिति यथावत है।
भेज रहे हैं एकदूसरे को पत्र तीन साल की सम्बद्धता के लिए लॉ कॉलेज, सरकार और विश्वविद्यालय के बीच सिर्फ पत्र भेजे जा रहे हैं। यहां खास बात यह है, कि एकमुश्त सम्बद्धता के लिए विश्वविद्यालय को एक्ट में संशोधन करना जरूरी होगा। इसके लिए सरकार और विधानसभा ही अधिकृत है। बीसीआई के प्रस्ताव और लॉ कॉलेज के पत्र पर ना सरकार ना विश्वविद्यालय के बीच कोई बातचीत हुई है।
फिर होगी दाखिलों में देरी? पिछले दो सत्रों से लॉ कॉलेज के प्रथम वर्ष के प्रवेश में फिर विलम्ब हो सकता है। बीसीआई और कॉलेज शिक्षा निदेशालय की मंजूरी के बिना प्रवेश मुश्किल हैं। मई और जून में कोई निबटारा नहीं हुआ तो समस्या बढ़ेगी। वैसे लगातार 14 वीं बार कॉलेज स्थाई मान्यता के संचालित होने के साथ-साथ विद्यार्थियों को दाखिले देगा।