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अजमेर

हंगरी की राजधानी का भगवान बुद्ध से विशेष नाता , जानें क्या हैं खास इनके बारे में

विदेशी भारत की समृद्ध विरासत और ऐतिहासिक कालखंड पर निरन्तर शोधरत हैं। लेकिन हम जड़ों दूर हट रहे हैं।

अजमेरMar 09, 2018 / 08:33 pm

सोनम

lord Buddha have connection with hungry's capital
अजमेर . विदेशी भारत की समृद्ध विरासत और ऐतिहासिक कालखंड पर निरन्तर शोधरत हैं। लेकिन हम जड़ों दूर हट रहे हैं। पृथ्वीराज चौहान और उनके वंश पर शोध किए बिना इतिहास का सही आकलन नहीं किया जा सकता है। यह बात धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण अध्यक्ष औंकारसिंह लखावत ने शुक्रवार को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के जनसंख्या अध्ययन विभाग के तत्वावधान में गुरुवार से शुरू हुई चौहान वंश का इतिहास विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में कही।
लखावत ने कहा कि पृथ्वीराज चौहान की नगरी अजयमेरू में स्वर्ग है। चौहान वंश ने देश की अस्मिता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। उन्होंने कहा कि अमरीका के टेक्सास यूनिवर्सिटी ने पृथ्वीराज चौहान और जर्मनी की विद्वान ने पाबूजी पर शोध किए हैं। विदेशी पृथ्वीराज चौहान, शिवाजी और राणा प्रताप को असली हीरो मानते हैं।
अजमेर की संस्कृत पाठशाला और वास्तुशिल्प को कई लोग नहीं जानते। राणा गोगा के 43 नाती-पोते युद्ध में शहीद हुए लेकिन उनका ज्यादा जिक्र नहीं होता। बीसलदेव, सुरजन हाड़ा, हाड़ी रानी (चारूमति) के बलिदान, राणा सांगा जैसे वीरों पर शोध किए बिना हम भारत को नहीं जान सकते हैं।

भारतीय वैश्विक समृद्धि के परिचायकसंगोष्ठी के मुख्य वक्ता हंगरी के कोवाच इमरे बरना ने कहा कि चौहान वंश का इतिहास समृद्ध है। उन्होंने कहा कि हंगरी में भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी। वहां की मूर्तियां, जूते, तलवार, वस्त्र, खान-पान, भारतीय संस्कृति से अत्यधिक समानता रखते हैं। यह प्राचीन भारतीय वैश्विक समृद्धि का परिचायक है।
यूरोप में थी भारतीय संस्कृति
विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष मेजर एन.एस. माथुर ने कहा कि सहस्र वर्षों पूर्व यूरोप में भारतीय संस्कृति थी। लिथुएनिया में संस्कृत के कई शब्द बोले जाते हैं। भगवान परशुराम का 16 बार वैश्विक जीत, जम्बूद्वीप, सूर्य देवता, भगवान विष्णु आदि भारतीय सभ्यता के विस्तृत रूप को दर्शाते हैं।
अंग्रेजीकरण के चलते भूले सभ्यता
कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने कहा कि नाम और हस्ताक्षर के अंग्रेजीकरण के चलते हम प्राचीन सभ्यता को भूल रहे हैं। हमें विदेशी की अपेक्षा अपनी संस्कृति और सभ्यता पर अधिक गर्व होना चाहिए। विभागाध्यक्ष प्रो. लक्ष्मी ठाकुर ने स्वागत किया। संचालन डॉ. एन. के. उपाध्याय ने किया।

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