भारतीय वैश्विक समृद्धि के परिचायकसंगोष्ठी के मुख्य वक्ता हंगरी के कोवाच इमरे बरना ने कहा कि चौहान वंश का इतिहास समृद्ध है। उन्होंने कहा कि हंगरी में भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी। वहां की मूर्तियां, जूते, तलवार, वस्त्र, खान-पान, भारतीय संस्कृति से अत्यधिक समानता रखते हैं। यह प्राचीन भारतीय वैश्विक समृद्धि का परिचायक है।
विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष मेजर एन.एस. माथुर ने कहा कि सहस्र वर्षों पूर्व यूरोप में भारतीय संस्कृति थी। लिथुएनिया में संस्कृत के कई शब्द बोले जाते हैं। भगवान परशुराम का 16 बार वैश्विक जीत, जम्बूद्वीप, सूर्य देवता, भगवान विष्णु आदि भारतीय सभ्यता के विस्तृत रूप को दर्शाते हैं।
कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने कहा कि नाम और हस्ताक्षर के अंग्रेजीकरण के चलते हम प्राचीन सभ्यता को भूल रहे हैं। हमें विदेशी की अपेक्षा अपनी संस्कृति और सभ्यता पर अधिक गर्व होना चाहिए। विभागाध्यक्ष प्रो. लक्ष्मी ठाकुर ने स्वागत किया। संचालन डॉ. एन. के. उपाध्याय ने किया।