अजमेर

एसीटीएसएल बसों के संचालन से हुआ 17.41 करोड़ का घाटा

35 कंडम बसें रोडवेज के लिए बनी जी का जंजाल
न बकाया दे रहा और न खटारा बसें हटा रहा प्रशासन
पार्किग के देने थे 50 हजार अब तक एक रुपया नहीं दिया

अजमेरAug 12, 2019 / 10:20 pm

bhupendra singh

rajasthan rodvej

 
अजमेर. जेएनएनयूआरएम के तहत अजमेर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (एसीटीएसएल) के अन्तर्गत शहर में संचालित की गई 35 लो फ्लोर बसें भले ही यात्रियों से फुल चली हों लेकिन यह बसें राजस्थान रोडवेज (rajasthan rodvej)के अजमेर आगार को 17 करोड़ 41 लाख 40 हजार 898 रुपए का घाटा (Loss of 17.41 crores ) दे गई। इन बसों का संचालन वर्ष 2010 में शुरु हुआ था लेकिन कंडम होने के कारण एसीटीएसएल(actsl) सेवा फरवरी 2018 में ही बंद हो गई। इसके साथ ही कंडम हो चुकी ये बसें अब रोडवेज के लिए जी का जंजाल भी बन गई हैं। करोड़ों रुपए की इस बकाया राशि को चुकाने के लिए रोडवेज की आेर से जिला कलक्टर, एडीए व नगर निगम को पत्र लिखे गए लेकिन घाटे की राशि का भुगतान नहीं हो सका। यह बकाया राशि एसीटीएसएल वाहनों के संचालन के दौरान हानि की क्षतिपूर्ति की है। वहीं अब यह कंडम बसें रोडवेज के घूघरा स्थित कार्यशाला में खड़ी हैं। इससे रोडवेज को कार्यशाला में पार्किंग की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बसों की पार्किंग के लिए भी रोडवेज को प्रतिमाह 50 हजार रुपए पार्किंग शुल्क के रूप में मिलने थे लेकिन अब तक पार्किंग का एक रुपया भी नहीं मिला। Loss of 17.41 crores due to operation of ACTSL buses
ट्रेजरी में पड़े हैं 5 करोड़ रुपए

स्मार्ट सिटी के तहत एसीटीएसएल की 5 करोड़ रुपए की राशि अजमेर ट्रेजरी में पड़ी है। इस राशि को अजमेर-पुष्कर सिटी बस लिमिटेड के खाते में जमा करवाने के लिए जिला कलक्टर ने निर्देश दिए हैं। कलक्टर ने नगर निगम अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इसका विस्तृत ब्यौरा तैयार किया जाए।
नीलामी के निर्देश

जिला प्रशासन ने रोडवेज को कंडम लो-फ्लोर बसों की नीलामी करने के निर्देश दिए हैं, जिससे घाटा राशि की कुछ भरपाई हो सके। लेकिन अभी तक रोडवेज को नीलामी के लिए प्रशासन से पत्र नहीं मिला है।
जनता को झेलनी पड़ रही परेशानी

शहर में लो-फ्लोर बसें बंद होने के करीब एक साल बाद अजेमर-पुष्कर सिटी बस सेवा के नाम से नई सर्विस शुरू की गई है। इसके तहत केवल 15 बसों के संचालन का ही प्रावधान किया गया है वह भी 35 सीटर मिडी बसें तीन रूट पर ही चल रही हैं। इससे अन्य रूटों पर शहर के लोगों आवागमन के लिए प्राइवेट मिनी बसों तथा खटारा टैम्पों के ही भरोसे हैं। शहर के मुख्य मार्गों पर प्राइवेट सिटी बसों तथा टैम्पो के लिए 25-30 मिनट का इंतजार करना पड़ता है प्राइवेट बस व टैम्पों वालों की मनमानी भी झेलनी पड़ती है।
इनका कहना है

कंडम हो चुकी बसों के ऑक्शन के लिए कहा गया है। ट्रेजरी में पड़ा पैसा भी रोडवेज को दिलवाया जाएगा।

-विश्वमोहन शर्मा, जिला कलक्टर अजमेर

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