उद्यान में लगाए गए पत्थर, बजरी, लाइट ओपन एयर जिम लीपापोती की कहानी खुद बयां कर रहे हैं। उद्यान का विकास हृदय, प्रसाद तथा स्मार्ट सिटी योजना के तहत हुआ है। स्मार्ट सिटी के तहत ढाई करोड़ रुपए खर्च किए गए। उद्यान का उद्घाटन 6 अक्टूबर को मुख्यमंत्री कर चुकी हैं।
दस दिन में ही टूटने लगी ओपन एयर जिम उद्यान में लोंगों को कसरत करने के लिए लगाई गई ओपन एयर जिम मानकों पर खरी नहीं है। जिम की मशीनों का निर्माण नगर निगम के पास ही खाईलैंड में हुआ है। मशीन पर रबड़ की ग्रिप, मैट का अभाव है, प्लास्टिक की क्वालिटी भी ठीक नहीं है। जिम की मशीनें टूटने लगी है। बैरिंग खुली पड़ी है व जाम है। मशीनों से खट-खट की आवाजें आ रही है।
जिम करने पर झटके लग रहे है आंतरिक चोट आ सकती है। उपकरणों की वेल्डिंग व मोडऩा मशीन से न होकर हथौड़े से या अच्छी तरह से नही की गई है। मशीनों के फाउंडेशन व नट बोल्ट भी उखडऩे लगे हैं। एक मशीन तो टूट भी चुकी है इसे निगम ने खुद ही हटा दिया है।
इसके अवशेष नजर आ रहे है। मशनों पर घटिया क्वालिटी का पेंट किया गया है जो छूटने भी लगा है। जिम करने से सम्बन्धित सूचना बोर्ड नहीं लगे हैं। यदि स्मार्ट सिटी के तहत शहर में लगी जिम से सुभाष उद्यान में लगी जिम की तुलना करें तो दोनों में जमीन आसमान का अंतर है।
सजाइवटी लाइटों के नाम पर खिलवाड़ नगर निगम ने उद्यान में घटिया किस्म की सजावटी लाइटें लगवाई हैं। उद्घाटन के दस दिन के भीतर ही इनकी असलियत सामने आ रही है। कई लाइटें टूटी है तो कइयों के तार व केबल ही बल्ब के स्थान पर बाहर आ गए हैं। सजावटी पिलर में क्वालिटी का अभाव है।
पडऩे लगी दरारें, उखडऩे लगे पत्थर उद्यान में हुए घटिया निर्माण का अंदाजा इसी से लगयाा जा सकता है कि उद्यान में बनी घास व फूलों की क्यारियों में पानी डालने के दौरान पानी के छीटों से उद्यान के बीच चलने के लिए बनाए गए वाक वे से सीमेंट व बजरी हटने लगी है। वाक के पत्थरों में जगह-जगह दरारें नजर आने लगी है। ऐसा ही रहा तो कुछ दिन में ही पत्थर उखडऩे लग जाएंगे।
फव्वारों में लगने लगी काई, नोजल भी बंद उद्यान में बनाए गए जिगजैग पूल में जमा पानी में काई जमने लगी है। पानी को साफ करने के लिए प्लांट भी नहीं बनाया गया है। इसके अलावा उद्यान में लगाए फांउटेंन व सेंट्रल कैनाल में मिट्टी व काई जमने लगी है। मुख्य फाउंटेन की नोजल कभी चलती है तो कभी बंद हो जाती है।