अवहेलना से नगर निगम के कार्य संचालन में बाधा पहुंचती है। अब महापौर ने आयुक्त को रिमाइंडर भेजकर तीन दिन में जवाब देने के लिए कहा है। अन्यथा यह माना जाएगा कि वे आदतन अपने विधिक प्राधिकार रखने वाले अधिकारी के निर्देशों की सआशय अवहलेना करती हैं, जो कि सेवानियम में गंभीर दुराचरण की श्रेणी में आता है।
सरकार के आदेशों की अवहेलना
महापौर गहलोत के अनुसार उनकी अनुमति नहीं होने के बावजूद फाइलें कलक्ट्रेट भेजी गई। स्पष्टीकरण का जवाब अभी तक नहीं दिया गया है। किसी भी कार्य की स्वीकृति की आयुक्त के जरिए ही होने के आदेश आयुक्त्त ने जारी किए गए हैं। जबकि सरकार ने 25 लाख रुपए के कार्य की स्वीकृति की पावर उपायुक्त को दे रखी है। यह सरकार के आदेंशो के विपरीत है। उपायुक्त (विकास) तथा उपायुक्त (प्रशासन) के बीच नए सिरे से कार्य विभाजन किया गया है इसकी अनुमति भी महापौर से नहीं ली गई है।
महापौर गहलोत के अनुसार उनकी अनुमति नहीं होने के बावजूद फाइलें कलक्ट्रेट भेजी गई। स्पष्टीकरण का जवाब अभी तक नहीं दिया गया है। किसी भी कार्य की स्वीकृति की आयुक्त के जरिए ही होने के आदेश आयुक्त्त ने जारी किए गए हैं। जबकि सरकार ने 25 लाख रुपए के कार्य की स्वीकृति की पावर उपायुक्त को दे रखी है। यह सरकार के आदेंशो के विपरीत है। उपायुक्त (विकास) तथा उपायुक्त (प्रशासन) के बीच नए सिरे से कार्य विभाजन किया गया है इसकी अनुमति भी महापौर से नहीं ली गई है।
छवि खराब करने की कोशिश महापौर ने इस सभी बिन्दुओं पर आयुक्त से जवाब मांगा है। इसके अलावा एक समाचार पत्र में प्रकाशित इंटरव्यू से निगम की छवि खराब हुई है। महापौर पर भी आरोप/ प्रत्यारोप लगाए गए हैं। छवि खराब करने की कोशिश की गई है।
साधारण सभा की अवमानना पूर्व में नोटिस जारी कर महापौर ने आयुक्त से प्रस्ताव की असहमति का आधार पूछा था साथ ही किस नियम अथवा विधि का उल्लंघन किया गया है यह भी जानकारी मांगी थी। महापौर गहलोत के अनुसार आयुक्त ने अपने पदीय कत्र्तव्य के निर्वहन में चुनी हुई संस्था की साधारण सभा को असहमति से अवगत न कराना प्रथमदृष्ट्या नगर निगम की साधारण सभा की अवमानना है।