कुलपति के पास हाल में सातवें वेतनमान और पैंशन फिक्सेशन से जुड़ी 30 पत्रावलियां पहुंची थी। साथ ही नियमित पत्रावलियां भी प्रशासनिक प्रवृत्ति की ज्यादा होती हैं। इसमें कुलसचिव, उप कुलसचिव, सहायक कुलसचिव स्तर के अधिकारियों की जरूरत ज्यादा पड़ती है। शिक्षकों को अतिरिक्त दायित्व देने से शैक्षिक कार्य प्रभावित हो सकता है। इन तकनीकी बिंदुओं को देखते हुए प्रशासन ने डीन कमेटी गठन के आदेश को वापस लेने का फैसला किया।
-नियमित प्रवृत्ति की पत्रावलियों की कुलसचिव बनाएं सूची
– फाइल के कार्य का संक्षिप्त ब्यौरा भेजा जाए कुलपति को
-सप्ताह में एक या दो दिन कुलसचिव करें अधिकारियों से चर्चा
-आवश्यक प्रवृत्ति की पत्रावलियों पर तत्काल हो फैसला
-कुलपति तक व्यक्तिगत पत्रावली अथवा ई-मेल पर भेज सकते हैं ब्यौरा
-कुलसचिव और दो-तीन अधिकारियों की बन सकती है कमेटी
विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है, नियमित प्रकृति की पत्रावलियां और कार्य ज्यादा होते हैं। सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी, शिक्षक कर्मचारी की पेंशन-ग्रेज्युटी भुगतान या अन्य आवश्यक पत्रावली को परीक्षण तक अटकाना अच्छी प्रवृत्ति नहीं है। अधिकारी ऐसे मामलों का परीक्षण कर कुलपति को त्वरित परामर्श और अनुशंषा देंगे तो उनका निष्पदान जल्द होगा। इससे कामकाज में अनावश्यक देरी, रुकावट नहीं होगी।