scriptसेहत अच्छी नहीं है ग्रामीण भारत के चिकित्सा केन्द्रों की | Medical centers in rural India are not in good health | Patrika News
अजमेर

सेहत अच्छी नहीं है ग्रामीण भारत के चिकित्सा केन्द्रों की

विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहे पीएचसी और सीएचसी

अजमेरMar 01, 2023 / 09:38 pm

Anil Kailay

सेहत अच्छी नहीं है ग्रामीण भारत के चिकित्सा केन्द्रों की

सेहत अच्छी नहीं है ग्रामीण भारत के चिकित्सा केन्द्रों की

अनिल कैले

अजमेर। कहा जाता है कि असली भारत गांवों में बसता है। लेकिन गांव वालों की सेहत का ख्याल रखने के लिए बनाए गए चिकित्सा केन्द्रों की खुद की सेहत खराब चल रही है। ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सा विशेषज्ञों की करीब 80 फीसदी की कमी है। सर्जन की आवश्यकता की तुलना में 83 प्रतिशत की कमी है। बालरोग चिकित्सकों की 81.6 प्रतिशत, फिजिशियन की 79.1 प्रतिशत और प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञों की 74.2 फीसदी की कमी चल रही है।
विशेषज्ञों की करीब 80 फीसदी की कमी
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने जनवरी महीने के अंतिम सप्ताह में देश की चिकित्सा व्यवस्थाओं की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। रूलर हैल्थ स्टेटिक्स 2021-22 पर गौर करें तो देश के ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) में 21 हजार 920 चिकित्सा विशेषज्ञों की आवश्यकता है। सरकार ने 13 हजार 787 पद स्वीकृत किए हैं। इनमें से 4 हजार 485 पद भरे हुए हैं। 9 हजार 343 पद खाली चल रहे हैं और 17 हजार 435 विशेषज्ञों की कमी चल रही है।
पीएचसी में चिकित्सकों का टोटा
देश के ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी) में चिकित्सों का टोटा चल रहा है। सरकार को हालांकि 24 हजार 935 चिकित्सकों की आवश्यकता है लेकिन उसने 39 हजार 669 पद स्वीकृत कर दिए। इनमें से 30 हजार 640 पद भरे हुए हैं जबकि नौ हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति होना बाकी है। चिकित्सकों के अलावा अन्य मानव संसाधनों को भी बढ़ाने की जरूरत है। पीएचसी पर 6 हजार 249 स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला, 36 हजार 981 स्वास्थ्य सहायक, 10 हजार 434 लैब टेक्निशियन, 4 हजार 211 स्टाफ नर्स और 5 हजार 969 फार्मासिस्ट की भी कमी चल रही है।
सीएचसी के हालात भी चिंताजनक
ग्रामीण क्षेत्र सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रों (सीएचसी) के हालात भी चिंताजनक हैं। इन केन्द्रों पर सरकार को 5 हजार 480 विशेषज्ञोें की जरूरत है जबकि 2 हजार 737 पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 696 पद भरे हैं जबकि 2050 पद रिक्त हैं। इसी प्रकार 1 हजार 141 नेत्र सर्जन , 104 लैब टेक्निशियन , 1 हजार 591 स्टाफ नर्स और 294 फार्मासिस्ट की कमी चल रही है। पीएचसी पर आयुष विशेषज्ञों के करीब 48 प्रतिशत पद खाली चल रहे हैं। कुल स्वीकृत 1260 पदों में से 661 पदों पर चिकित्सकों की नियुक्ति हो पाई है। रिपोर्ट के अनुसार देश के जिला अस्पतालों में 35 हजार 192 चिकित्सकों की आवश्यकता की तुलना में 29 हजार 817 चिकित्सक कार्य कर रहे हैं। उप जिला अस्पतालों में चिकित्सकों के 23 हजार 478 पद स्वीकृत हैं जबकि फिलहाल 18 हजार 643 चिकित्सक कार्य कर रहे हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो