scriptMedical Innovation: अब बोल और सुन सकेंगे मूक बधिर बच्चे, अजमेर में डॉक्टर्स ने रचा इतिहास | Medical innovation: Deaf and dumb children start speak and listen | Patrika News
अजमेर

Medical Innovation: अब बोल और सुन सकेंगे मूक बधिर बच्चे, अजमेर में डॉक्टर्स ने रचा इतिहास

www.patrika.com/rajasthan-news

अजमेरMar 13, 2019 / 08:54 pm

raktim tiwari

operation in ajmer

operation in ajmer

चंद्र प्रकाश जोशी/अजमेर.

जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं संबद्ध अस्पताल ने बुधवार को स्वर्णिम इतिहास रचते हुए अजमेर में पहली बार कॉकिलर इम्प्लांट सर्जरी कर दो बच्चों को सुनने एवं बोलने की क्षमता विकसित की। जन्म से मूक-बधिर बच्चे अब ना केवल परिजन की आवाज सुन सकेंगे बल्कि खुद भी बोल सकेंगे। जयपुर एवं जेएलएनएच के नाक,कान गला रोग विभाग के चिकित्सकों ने एक नया अध्याय जोड़ा।
जेएलएन अस्पताल के नाक,कान, गला रोग विभाग के ऑपरेशन थिएटर में कॉकिलर इम्प्लांट सर्जरी की गई। इस सर्जरी का लाइव प्रसारण किया गया ताकि विभाग के अन्य चिकित्सक, रेजीडेंट चिकित्सक, मेडिकॉज भी इस विशेष प्रकार की सर्जरी सीख सकें एवं अनुभव साझा हो सके। सर्जरी का लाइव प्रसारण करीब साढ़े तीन घंटे तक किया गया। इस सर्जरी का मकसद था कि अजमेर में यह सुविधा उपलब्ध हो और संभाग के ऐसे बच्चे जिनमें मूक-बधिर की जन्मजात बीमारी हो या फिर सडक़ दुर्घटना में कान में आवाज सुनने की क्षमता नष्ट हो गई, उनमें फिर से आवाज सुनने की क्षमता विकसित करना है।
विशेषज्ञों ने लाइव प्रसारण देखा

राजस्थान ईएनटी एसोसिएशन के सचिव एवं महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर के विभागाध्यक्ष डॉ. तरुण ओझा ने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेज में डैफनेस कंट्रोल प्रोग्राम चलना चाहिए। यह ऑपरेशन मुख्यमंत्री सहायता कोष से किए जा रहे हैं। लाइव प्रसारण में राज्यभर से आए करीब 70 ईएनटी रोग विशेषज्ञों ने लाइव प्रसारण देखा।
यह है कॉकिलर इम्प्लांट

विभागाध्यक्ष डॉ. पी.सी. वर्मा के अनुसार कान के पीछे एक छेद कर माइक्रो प्रोसेसर लगा दिया जाता है। उसके अंदर कान के मिडल एरिया कोकलिया (सुनने का यंत्र) होता है, जिसके अंदर इलेक्ट्रोल डाल दिया जाता है। वह जो आवाज (साउंड) खराब होने पर यह डिवाइस काम करने लगता है। यह ढाई साल के बच्चों के लिए मददगार साबित है। पहले बच्चों को रिहेबिलिटेशन में लिया गया है। हियरिंग एड लगा रखे हैं (परसिव) सुनते हैं। बेहोशी में यह इम्प्लांट डालते हैं। डॉ. दिग्विजयसिंह रावत के अनुसार यह एक इलेक्ट्रोनिक डिवाइस है, इससे समस् प्रकार के बहरेपन का उपचार संभव है। सर्जरी केकड़ी व किशनगढ़ के दो जरूरतमंद परिवार के बच्चों की हुई।
तय होती है फिक्वैंसी
कॉकिलर इम्पांट से पूर्व यह भी देखा जाता है कि यह बच्चा कौनसी फिक्वैंसी (सुनने की क्षमता) कैच करेगा। आमतौर पर मनुष्य की फिक्वैंसी 500 से 4000 तक होती है। मच्छर की फिक्वैंसी सबसे अधिक 6000 तक होती है। ऑपरेशन के साथ बच्चों की फिक्वैंसी भी निर्धारित होती है।
इन्होंने की सर्जरी
एसएमएस अस्पताल जयपुर के डॉ.मानप्रकाश शर्मा, डॉ. सतीश जैन (जयपुर), विभागाध्यक्ष डॉ. पी.सी. वर्मा, डॉ. दिग्विजय सिंह रावत, डॉ. योगेश आसेरी, डॉ. विक्रांत शर्मा शामिल रहे। निश्चेतन विभाग से डॉ. कविता जैन, डॉ. नीना जैन, डॉ. लीना परौदी, डॉ. अरविन्द खरे, डॉ. पूजा माथुर शामिल रहे।
अजमेर संभाग की जनता के लिए यह एक सौगात है। इस तरह के ऑपरेशन जारी रहेंगे।

डॉ. वीर बहादुर सिंह, प्रिंसीपल मेडिकल कॉलेज

आमतौर पर इस ऑपरेशन पर करीब 6 लाख रुपए तक खर्च होते हैं, लेकिन राज्य सरकार की ओर से नि:शुल्क ऑपरेशन किया जा रहा है। संभाग के दो मरीज (बच्चों) का ऑपरेशन किया है।
डॉ. अनिल जैन, अधीक्षक जेएलएनएच

Home / Ajmer / Medical Innovation: अब बोल और सुन सकेंगे मूक बधिर बच्चे, अजमेर में डॉक्टर्स ने रचा इतिहास

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो