125 राजस्व ग्राम यानी करीब 30 तहसीलों में नक्शे कटे-फटे,जीर्णशीर्ण अथवा अनुपलब्ध है। इसके लिए फिर से सर्वे करवाना होगा। इसके अलावा भू प्रबंधन विभाग द्वारा 2019 में सॉफ्टवेयर बदल दिए जाने के कारण स्कैनिंग क्या कार्य धीमा हो गया है। कोविड-19 के कारण डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया भी बाधित है।70 वर्षों से नहीं हुआ है सेटलमेंट
सवाई माधोपुर के खंडार तहसील में 17 हजार 167 तरमीम लंबित है। यहां पर 70 वर्षों से सेटलमेंट का कार्य अभी तक नहीं हुआ है। इन सबके अलावा नक्शों का उपलब्ध नहीं हो ना, गांव का सेग्रीगेशन नहीं होना,भू-प्रबंध की मिसल प्राप्त नहीं होना,कर्मियों की समस्या,नवसृजित तहसील है पर का कार्य धीरे होने के कारण इत्यादि कारणों से नक्शों का डिजिटाइजेशन का कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा कई गांवों में गांव का साइड रीक्रिएशन और गांव के नक्शे उपलब्ध नहीं होने के कारण भी डिजिटाइजेशन का कार्य प्रभावित है। इनके अलावा नक्शा को ऑनलाइन करने में यह समस्या आ रही है कि कई खसरों की तरमीम अभी तक बाकी पड़ी है।
2015 में ही पूरा होना था काम डीआईआरएलएमपी का कार्य 2008 में शुरू हुआ था। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी अभी भी राज्य के 42 तहसील है ऑनलाइन होने से वंचित है। डिजिटाइजेशन आफ कैडेस्ट्रेल मैप डिजिटाइजेशन ऑफ कैडेस्ट्रेल मैप का कार्य भीलवाड़ा और झालावाड़ जिला में 2015 में शुरू हुआ था। झालावाड़ में कार्य पूर्ण हो चुका है तथा भीलवाड़ा में जहाजपुर कोटडी 2 तहसीलों के अलावा काम पूरा हो चुका है। टोंक जिले में निवाई और मालपुरा तहसील के अलावा काम पूर्ण हो चुका है। 30 जिलों के लिए 17.5 करोड का कार्य आदेश जारी किया गया था।
369 में से 297 तहसीलें ऑनलाइन राज्य की 369 तहसीलों में से 297 तहसीलें ऑनलाइन हो गई है। जयपुर ,सीकर ,चूरू ,झुंझुनू ,जैसलमेर, झालावाड़,अजमेर ,कोटा ,धौलपुर ,प्रतापगढ़ ,गंगानगर ,जालौर ,उदयपुर और बांसवाड़ा की सभी तहसीलों ऑनलाइन हो गई है। शेष बचे 6 जिलों की 42 तहसीलों में अभी भी कार्य प्रगति पर है।