थैलियों में अब अंकुरण होने लगा है। नर्सरी में जिन थैलियों में अंकुरण नहीं हो रहा है। उनमें फिर से बीजारोपण किया जा रहा है। इसी प्रकार कलम में भी अंकुरण नहीं होने की स्थिति में उन्हें भी बदला जा रहा है।
गर्मी तेज होने के कारण अब थैलियों को पानी पिलाया जा रहा है, पहले फव्वारा लगाया गया था, अब पानी से भरा जा रहा है। वन विभाग के पास पिछली बार के करीब 80 हजार से अधिक पौधे बचे हुए हैं। उनकी भी थैलियों को बदला जा रहा है। पिछली बार बारिश की कमी के कारण पौधों की नाममात्र की बिक्री हुई थी।
इसके कारण पौधे बच गए थे। विभिन्न मद में तैयार होंगे पौधेनर्सरी में १ लाख ५ हजार पौधे से अधिक पौधे तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें फार्म वन विद्या, जैव विविधता, राजनीधि एवं कैम्पा योजना के तहत पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
जुलाई में होता है पौधों का वितरण वन विभाग में फलदार, छायादार, फूलदार और शोपिस पौधे तैयार किए जाते हैं। उक्त पौधों की बिक्री जुलाई माह में प्रारंभ होती है। जब तक बारिश का सीजन भी शुरू हो जाता है। पौधे स्वयं सेवी संगठन और सरकारी कार्यालय में निर्धारित राशि पर उपलब्ध कराए जाते हैं, वहीं आमजन से पांच रुपए प्रति पौधे लिए जाते हैं। इसमें कैम्पा आदि योजना की राशि अधिक होती है।