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अजमेर

अस्पताल में लावारिस नवजात को मिल रहा मां का प्यार

ड्यूटी पर तैनात नर्सेज और महिला पुलिस जवान में जागा ममता का ज्वारबेटे की तरह नवजात को दे रही दुलार

अजमेरMay 11, 2019 / 11:00 pm

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अस्पताल में लावारिस नवजात को मिल रहा मां का प्यार

चन्द्र प्रकाश जोशी

अजमेर. मां तुम कहां हों, तुम्हारें आंचल में लिपटने को मन मचल रहा है। जब से तुमने मुझे आंगन पर अकेला छोड़ा तब से मैं इंतजार ही कर रहा हूं। कभी पलकें बंद करता हूं और कभी तुम्हें देखने को पलकें खोलता हूं, मगर अभी भी मैं तुम्हें नहीं देख पाया हूं। सब कहते हैं इस दुनिया में अगर कोई देवी हैं तो वह है मां। मां, तुम्हें मेरी याद नहीं आ रही। मां अभी में ना तो बोल सकता हूं, ना चल सकता हूं, मजबूर हूं, तुम मेरी अंगुली पकड़ो तो सही मैं चलने की कोशिश करूंगा, अपने पैरों पर खड़ा होकर तुम्हारी जिन्दगी भर सेवा करूंगा। जाने क्यूं मुझे आज अहसास हुआ कि मां तुम मेरे पास हो, मैं तुम्हारी गोद में अंगुली पकडऩेे की कोशिश कर रहा हूं…।
अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के शिशु रोग विभाग की गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती लावारिश नवजात शिशु के अनकहे जज्बात एवं मां के प्रति अहसास के चलते ड्यूटी पर तैनात नर्स एवं महिला पुलिस कांस्टेबल में भी ममता का ज्वार जागा। अस्पताल की ‘नर्स मांÓ एवं महिला पुलिस कांस्टेबल बेटे की तरह इसकी देखभाल कर रही हैं। लावारिश नवजात की जरा सी आहट पर उसके पास वे पहुंच जाती हैं। नवजात पर हाथों की हल्की सी झप्पी व कभी गोद में लेने के बाद नवजात शिशु रोने से थम जाता है। अस्पताल में यूं तो अन्य भी बच्चे भर्ती हैं जिनकी माताएं समय-समय पर फीडिंग के साथ उनकी देखभाल करती हैं। मगर दो दिन के नवजात एवं लावारिश शिशु के प्रति एक खास लगाव एवं उसकी देखभाल के लिए ‘नर्स मांÓ एवं महिला कांस्टेबल पूरा ध्यान रखती हैं। महिला कांस्टेबल की ड्यूटी बदलती है या फिर नर्स की तो अगली ड्यूटी में आने वाली दोनों महिला कार्मिक भी उसका उसी तरह से ध्यान रखती हैं।
नवजात को हुआ मां का अहसास

आज नर्स के रूप में मिली ‘मांÓ ने जब नवजात को जैसे ही गोद में उठाया तो नवजात ने अपनी डबडबाई आंखें खोल ली, पलकों को बिना झपकाएं ‘नर्स मांÓ को निहारता रहा। नर्स मां और नवजात शिशु की जब आंखों की गहराइयों में झांकने की कोशिश की तो दोनों की आंखों की नमी साफ दिखाई दीं नवजात की आंखों से आंसू बूंदों के रूप में गिरने लगे। ‘नर्स मांÓ की अंगुली थामकर मन ही मन नवजात मानो बोल रहा था, आप तो मुझे नहीं छोड़ देंगी। नर्स मां, आखिर मेरा क्या कसूर था, तुम ही बताओ कि जन्म के महज आठ घंटों ऐसा क्या हुआ कि मुझे पराए आंगन में छोड़ चलीं गईं।
अस्पताल में पालनागृह के पास लावारिश छोड़ गई थी मांग

जेएलएन अस्पताल में पालनागृह के पास शुक्रवार रात्रि एक दिन के नवजात को मां (कथित परिजन) लावारशि छोड़ गए। नर्सिंगकर्मियों को पता चलने पर उसे अस्पताल में भर्ती किया। चिकित्सकों ने जांच कर उपचार दिया जा रहा है। बच्चा स्वस्थ है।

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