लगाते रहें हैं आरोप प्रत्यारोप नगर निगम को प्राधिकरण की विकसित कॉलोनियों को हस्तांतरित करने का मामला वर्ष २०१५ से लम्बित चल रहा है। तत्तकालीन प्राधिकरण कमिश्नर हेमंत कुमार गेरा ने इसके लिए नगर निगम आयुक्त के साथ बैठक कर रिपोर्ट तैयार करवाई थी। कॉलोनियों की फाइलों के हस्तांतरण पर सहमति भी बनी थी लेकिन उनके जाने के बाद मामला ठंडा पड़ गया। महापौर भी इस मामले को नगरीय विकास विभाग के मंत्री की बैठकों में भी उठा चुके हैं। उधर एडीए प्रतिनिधि लगातार कहते रहे हैं कि हम तो कॉलोनियां निगम को देना चाहते है लेकिन वह खुद ही नहीं लेना चाहता। इस मामले को लेकर निगम व प्राधिकरण एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी लगाते रहे हैं।
निगम का अरोप एडीए दे रहा है कच्ची बस्तियां एडीए अब तक नाका मदार, शास्त्री नगर योजना, एमडी कॉलोनी,भगवानगंज,धौलाभाटा,अशोक मार्ग,कोतवाली, खाईलैंड,अजय नगर हस्तांतारित की चुकी है। आना सागर सर्कूलर रोड (एसीआर) योजना के आधे-अधूरे हस्तांतरण से इस योजना में रहने वाले लोग जमीन से जुड़े अपने कार्यो के लिए एडीए व नगर के निगम के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। एडीए अपनी विकसित योजनाओं के साथ ही शहर की ४८ कच्ची बस्तियां भी निगम को देने को तैयार है लेकिन निगम इसे लेने को तैयार नहीं है। निगम पहले विकसित योजनाएं लेना चाहता है।
इधर हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनियां नही ले रहा निगम जहां नगर निगम अजमेर विकास प्राधिकरण पर विकसित कॉलोनियों को देने के मामले में आनाकानी का आरोप लगाता रहा है वहीं वह खुद हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनियों के हस्तांतरण में आनाकानी कर रहा है। जबकि हाउसिंग बोर्ड की विकसित हो चुकी कॉलोनियों को नगर निगम को सौंपने के लिए1989 में हाउसिंग बोर्ड व नगर निगम के बीच समझौता हो चुका है। हाउसिंग बोर्ड निगम को 5 लाख रुपए चेक भी 31 साल पहले ही दे चुका है। इसके बावजूद निगम इन कॉलोनियों को हस्तांतरित नहीं कर रहा है। हाउसिंग बोर्ड व नगर निगम के विवाद के इसके चलते अवैध निर्माकर्ता चांदी काट रहे है। हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनियों बाजारों के रूप में तब्दील हो रहे हैं। अवैध निर्माण,सडक़ों पर कब्जा किया जा रहा है। होटल, मॉल, शॉपिंग कॉम्पलेक्स,अस्पताल, जिम, कोचिंग सेंटर, कार बाजार हाउसिंग बोर्ड कॉलोनियों में धड़ल्ले से चल रहे हैं। इन कॉलोनियों में लगातार हाउसिंग बोर्ड का मकान तोडक़र बहुमंजिली कॉम्पलेक्स बनाए जा रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों ने आंखे मूंद रखी है।
इनका कहना है एडीए की कॉलोनियां नगर निगम को दिए जाने का मामला कई बार उठा चुका हूं। साधारण सभा में प्रस्ताव भी पास किया गया है। एडीए अपनी विकसित कॉलोनियां नगर निगम को हस्तांतरित करे।