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अजमेर

बिना काम के कैसी पगार , कुलपति पर भी फिट हुआ ये फार्मूला

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अजमेरNov 24, 2018 / 07:59 pm

raktim tiwari

salary not given to VC

salary not given to VC

अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति ‘बगैर ’ पगार के पद पर हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने उनके कामकाज पर रोक लगाई है। लिहाजा उन्हें वेतन-भत्ते नहीं मिले हैं। अदालती मामला और तकनीकी पेंच को देखते हुए विश्वविद्यालय और खुद कुलपति ने कोई फैसला नहीं किया है।
लक्ष्मीनारायण बैरवा की जनहित याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग की खंडपीठ ने बीती 11 अक्टूबर को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह को नोटिस जारी कर 26 अक्टूबर तक कामकाज पर रोक लगाई थी। इसे हाईकोर्ट ने 28 नवंबर तक बढ़ा दिया है।
कैसे बनेगी मासिक पगार?

कुलपति प्रो. सिंह की नियुक्ति 6 अक्टूबर को हुई थी। उन्होंने विश्वविद्यालय में महज पांच दिन (6 से 10 अक्टूबर) तक ही कामकाज किया। 11 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने उनके कामकाज करने पर रोक लगाई थी। यह अब तक जारी है। नियमानुसार बिना कामकाज के कुलपति का वेतन बनना मुश्किल है। हालांकि विश्वविद्यालय में अधिकारियों, शिक्षकों, कार्मिकों की तरह कुलपति बायोमेट्रिक अथवा रजिस्टर में हाजिरी लगाने के लिए बाध्य नहीं है।
नहीं मिला बैंक खाता नंबर

विश्वविद्यालय में कुलपति, शिक्षकों, अधिकारियों-कार्मिकों का मासिक वेतन वित्त विभाग बनाता है। इसके तहत प्रतिमाह उनकी हाजिरी, छुट्टियों का रिकॉर्ड देखा जाता है। इसके आधार पर बैंक खातों में पगार जमा होती है। वित्त विभाग को बीते डेढ़ महीने में कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह की तरफ से कोई बैंक खाता नंबर नहीं भी मिला है। इसकी पुष्टि वित्त नियंत्रक ने की है।
यह होती है कुलपति की पगार-सुविधाएं

राज्य अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर पद पर कार्यरत शिक्षाविदें को कुलपति नियुक्त किया जाता है। राज्य के विश्वविद्यालय में कुलपतियों को मासिक वेतन 70 हजार रुपए है। इसके अलावा उन्हें 5 हजार रुपए विशेष भत्ते के रूप में मिलते हैं। विश्वविद्यालय स्तर पर उन्हें आवास, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, वाहन और अन्य सुविधाएं मिलती हैं।
पद से हटाया नहीं तो उपस्थिति कहां?

उच्च न्यायालय ने सिर्फ कुलपति प्रो. सिंह के कामकाज पर रोक लगाई है। राजभवन ने उन्हें पद से हटाया नहीं है। अधिकृत तौर पर वे कुलपति पद पर कार्यरत हैं। लेकिन वे अपनी उपस्थिति राजभवन या कहां दे रहे हैं, यह स्पष्ट नहीं है।

मामला अदालत में है। मैंने स्वयं वेतन के लिए किसी तरह का दावा (क्लेम) नहीं किया है।
प्रो. आर. पी. सिंह, कुलपति मदस विश्वविद्यालय

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