नेफ्रोलॉजिस्ट की नियुक्ति की ना ट्रेनिंग सेन्टर किया प्रारंभ
कोलकाता की संजीवनी कंपनी पर एमओयू की शर्तें पूरी नहीं करने का आरोप, 48 घंटे का आश्वासन मिला तो सुचारू की पीपीपी मोड पर डायलिसिस सुविधा
अजमेर•Jan 10, 2020 / 01:34 pm•
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नेफ्रोलॉजिस्ट की नियुक्ति की ना ट्रेनिंग सेन्टर किया प्रारंभ,नेफ्रोलॉजिस्ट की नियुक्ति की ना ट्रेनिंग सेन्टर किया प्रारंभ,नेफ्रोलॉजिस्ट की नियुक्ति की ना ट्रेनिंग सेन्टर किया प्रारंभ
अजमेर. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के संबद्ध अस्पताल में पीपीपी मोड प्रभावित हुई डायलिसिस सुविधा संबंधित कंपनी प्रतिनिधि एवं अस्पताल प्रशासन के साथ हुई बैठक एवं आश्वासन के बाद बाद सुचारू हो गई। मगर बैठक में कंपनी को एमओयू की शर्ते एवं उसकी पालना नहीं करने पर खरी-खरी सुनाई गई। इस दौरान कंपनी की ओर से ना तो डायलिसिस सेन्टर में नेफ्रोलॉजिस्ट को नियुक्त कर पाई और ना स्किल डवलपमेंट के तहत स्थानीय स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई। जेएलएन अस्पताल में पिछले तीन दिन से डायलिसिस सेवाएं बंद होने की शिकायत पर डायलिसिस पीडि़त एवं परिजन की ओर से कोलकाता की संजीवनी कंपनी के प्रतिनिधियों को आड़े हाथों लिया गया। मरीजों के साथ कंपनी प्रतिनिधियों एवं अस्पताल प्रशासन की बैठक हुई। इसमें मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त प्रधानाचार्य डॉ. एस.के. भास्कर एवं अधीक्षक डॉ. अनिल जैन, विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश जैन ने विभिन्न इश्यू पर चर्चा की गई। कंपनी प्रतिनिधि एवं प्रभारी संजीव चक्रवर्ती ने बताया कि कंपनी के करीब एक करोड़ रुपए का भुगतान अचका हुआ है। इसके चलते कार्मिकों को भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। इस पर डॉ. भास्कर ने आश्वासन दिया कि 48 घंटे में समस्या का समाधान हो जाएगा लेकिन पहले डायलिसिस सुचारू कराएं। उपकरण एवं दवाइयों की उपलब्धता अधीक्षक डॉ. जैन ने अस्पताल के औषधि भण्डार से कराने के आदेश दे दिए। इसके बाद डायलिसिस सुविधा प्रारंभ करने पर सहमत बनी। अधीक्षक जैन ने बताया कि भुगतान अटकने का मामला कंपनी कार्यालय एवं अस्पताल प्रशासन के मध्य का मामला है इससे मरीज प्रभावित नहीं होने चाहिए। मगर जो एमओयू में शर्ते हैं उसके अनुसार ना तो नेफ्रोलॉजिस्ट है ना स्किल डवलपमेंट के तहत ट्रेनिंग सेन्टर प्रारंभ किया गया है। कंपनी को ट्रेनिंग सेन्टर करना था प्रारंभएमओयू की शर्तों के मुताबिक डायलिसिस की ट्रेनिंग के लिए यहां के नर्सिंग व टेक्निशियन स्टाफ को तैयार करना था। लेकिन ट्रेनिंग सेन्टर शुरू नहीं किया। शर्तों के मुताबिक 10 मशीन पर डायलिसिस सुविधा उपलब्ध करानी थी मगर हाल ही में चार मशीनों को सेन्टर से बाहर ले जाया गया। वहीं डायलिसिस बंद करने की धमकी दी गई। उधर, कंपनी प्रतिनिधि चक्रवर्ती ने 76 लाख से अधिक के भुगतान नहीं करने की बात कही। शर्तोंं की पालना नहीं करने पर अस्पताल लगा सकता है इतना जुर्माना48 घंटे इक्यूपमेंट नहीं होने पर 3000 रुपए प्रति इक्यूपमेंट अस्पताल प्रशासन संबंधित कंपनी पर लगा सकता है। मैन पावर की उपलब्धता नहीं होने पर भी इतना जुर्माना (8 घंटे के लिए)पद जुर्मानानेफ्रोलॉजिस्ट 3000रुपए प्रति आठ घंटेडायलिसिस डॉक्टर 3000 रुपए प्रति आठ घंटेडायलिसिस टेक्निशियन्स 2500 रुपए डायलिसिस नर्सेज 1500 रुपएडायलिसिस अटेडेंट 1500 रुपएमेडिकल सोशल वर्कर 1000 रुपएडायटिशियन 1000 रुपएसपोर्ट स्टाफ 800 रुपएरिशेपनिस्ट 1000 रुपएइनका कहना हैपीपीपी मोड पर जब डायलिसिस शुरू की गई तब एमओयू में कंपनी की ओर से राज्य सरकार को लिखित में शर्तों को दिया गया है। राज्य सरकार जिन शर्तों को कंपनी पूरा नहीं करती है उस पर जुर्माना भी लगा सकती है। जब कंपनी मामला कोर्ट में लेकर गई है तो डायलिसिस की सुविधाएं ना तो घटा सकती है और ना बंद कर सकती है।डॉ.अनिल जैन, अधीक्षक जेएलएनएच