यहां बनाए जा रहे आरओबी के लिए लगाए जा रहे गर्डर के निचले हिस्से पर रिबन या फेंसिंग नहीं की गई है। इसके चले यहां से लोग दुपहिया व कारों में सवार होकर गुजरते हैं। समय रहते निचले हिससे में फेंसिंग नहीं कराई गई तो यहां हादसा भी घट सकता है।
सुरक्षा उपायों की नहीं करते पालना
राजस्थान राज्य सड़क विकास निगम के अधिकारियों का कहना है कि गर्डर के ठीक निचले हिस्से को मलबा व अन्य तरीके से ऐसा बना रखा है कि लोग यहां से नहीं गुजर सकें लेकिन लोग फेंसिंग के लिए लगाए रिबन को हटा देते हैं। जिससे यहां नीचे आवाजाही शुरू हो जाती है।
डायवर्जन का बोर्ड गिराया अजमेर से ब्यावर जाते समय पुल शुरू होने के स्थान पर खुदाई की गई है। यहां डायवर्जन का बोर्ड लगाया हुआ था लेकिन लोगा उसे गिरा देते हैं जिससे वाहन चालक को गड्ढे व निर्माणाधीन पुल बहुत पास आने पर दिखाई देता है इस कारण यहां दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। साथ ही आरओबी निर्माण के क्षेत्र के आसपास की स्ट्रीट लाइट्स भी नहीं जलती जिससे अंधेरे में हादसे की आशंकाएं बढ़ जाती है।
डेयरी को जोडऩे वाला आरओबी ब्यावर रोड पर अजमेर डेयरी को जाने के लिए ब्यावर रोड पर एक रेलवेओवर ब्रिज का निर्माण डेढ़ वर्ष पूर्व जनवरी 2017 में शुरू हुआ था। इसकी लंबाई 600 मीटर है। पुल निर्माण के लिए 11 खंबे बनने हैं। इनमें से नौ बन चुके हैं। दो खंबों या पिलर का निर्माण भूमि अधिग्रहण के चलते नहीं हो पा रहा। इसका विवाद उपखंड अदालत में विचाराधीन है। संबंधित निर्माण एजेंसी के जिम्मेदारों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण का विवाद निपट जाए और उन्हें भूमि उपलब्ध हो जाए तो छह माह मेंं इसका निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
परासिया रेलवे ओवर ब्रिज
किशनगढ़ में परासिया स्थित समपार फाटक पर रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण भी अधूरा है। इसके काफी हिस्से पर गर्डर लगाए जा चुके हैं इसके नीचे से भी 24 घंटे यातायात गुजरता रहता है। रेलवे फाटक बंद होने के दौरान तो लंबी कतारें लग जाती है। यहां भी गर्डर अस्थायी रूप से लगे हैं नीचे कोई सुरक्षा उपाय नहीं होने से हादसे की संभावनाएं बनी रहती हैं
सुरक्षा उपाय फेंसिंग रिबन व डायवर्जन बोर्ड आदि लगा रखे हैं लेकिन वाहनों की टक्कर लगने व वाहन चालकों के जरिए बोर्ड को एक ओर कर देने के बाद यातायात नीचे से गुजरता है। वैसे सभी गर्डर एंगल वैल्ड कर जोड़ रखे हैं। रेलवे के हिस्से का निर्माण रेलवे अपने स्तर पर करेगा। सुरक्षा का
ध्यान रखा जाता है।
-राजेश मोदी, अधिशासी अभियंता, आरएसआरडीसी अजमेर