नाई से बाल कटवाने से संक्रमण का लगा डर, लोगों ने खुद ही काट लिए एक—दूसरे के बाल
दूसरे विश्वविद्यालयों में भी हाल खराबराज्य के विश्वविद्यालयों में 2000-01 तक विभागवार शिक्षकों की संख्या ठीक थी। बीते 19 साल में विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों का अनुपात बढ़ा लेकिन शिक्षकों की संख्या कम होती चली गई। इनमें प्रोफेसर, रीडर और लेक्चरर शामिल हैं। उधर पुराने और नए खुले केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थिति ठीक है। इनमें राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों की तुलना में विशिष्ट कोर्स संचालित हैं।
Lock Down effect: ना शोर-शराबा ना प्रदूषण, लॉकडाउन पक्षियों के लिए फायदेमंद
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षककार्यरत प्रोफेसर- 2100, रिक्त पद-1100
कार्यरत रीडर- 4255, रिक्त पद-2024
कार्यरत लेक्चरर-9100, रिक्त पद-2100 राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षक
कार्यरत प्रोफेसर- 3800 रिक्त पद-1440
कार्यरत रीडर- 6850, रिक्त पद-4000
कार्यरत लेक्चरर-8766 रिक्त पद-7145 विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में पिछड़े
संकाय-विभागवार विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में राज्य के विश्वविद्यालय बहुत पीछे हैं। इन विश्वविद्यालयों में प्रति 60 विद्यार्थियों पर 1 शिक्षक कार्यरत है। वहीं केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रति 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है। राज्य के विश्वविद्यालयों में पिछले कुछ वर्षों में हुई अनियमितताओं के चलते कई नियुक्तियां अदालती पेचीदगियों में फंसी हैं।
कोरोना ने बदला दफ्तरों के कामकाज का तरीका अजमेर. कोरोना लॉकडाउन ने सरकारी दफ्तरों के कामकाज का तरीका बदल दिया है। अब तक ऑनलाइन कामकाज से दूर रहने वाले अधिकारी-कर्मचारी, छात्र-छात्राएं और शिक्षक इनका बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। धीरे-धीरे सबकी तकनीकी दक्षता भी बढ़ रही है।