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अजमेर

आखिर नौ महीने बाद हुआ फैसला प्रो. विजय श्रीमाली होंगे नए कुलपति

मांग के अनुसार नए शैक्षिक विभाग भी खोले जाएंगे, ताकि विद्यार्थियों को अधिाकधिक प्रवेश मिलें।

अजमेरApr 17, 2018 / 06:37 am

raktim tiwari

governor apppoint new VC

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राज्यपाल कल्याण सिंह ने प्रो. विजय श्रीमाली को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का नया कुलपति नियुक्त किया है। वे मौजूदा वक्त उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कॉमर्स कॉलेज के व्यवसाय प्रबंधन के विभागाध्यक्ष हैं।
नव नियुक्त कुलपति प्रो. श्रीमाली ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि मौजूदा वक्त महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की सालाना परीक्षाएं चल रही हैं। परीक्षाओं का निर्बाध संचालन और समय पर परिणाम जारी करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। विश्वविद्यालय में कई विभागों में शिक्षकों के रिक्त पदों से वे वाकिफ हैं। यूजीसी के नियमानुसार विभागवार एक प्रोफेसर, 2 रीडर और चार लेक्चरर्स होने जरूरी हैं। लिहाजा शिक्षकों की नियुक्तियां कराई जाएंगी। मांग के अनुसार नए शैक्षिक विभाग भी खोले जाएंगे, ताकि विद्यार्थियों को अधिाकधिक प्रवेश मिलें।
आठ महीने बाद स्थाई कुलपति

विश्वविद्यालय को करीब आठ माह बाद स्थाई कुलपति मिलेगा। तत्कालीन कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी का कार्यकाल 18 जुलाई को खत्म हुआ था। तबसे महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह अतिरिक्त दायित्व संभाले हुए थे। इस दौरान सर्च कमेटी की बैठक बीते साल 5 अक्टूबर और 30 दिसम्बर को हुई। पहली बैठक के बाद किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई। दूसरी बैठक में प्रो. विजय श्रीमाली, प्रो. साधना कोठारी, प्रो. ईश्वर सरन, प्रो. आर. के. मित्तल और प्रो. आर. वी. सिंह के नाम शामिल थे। इनमें से प्रो. ईश्वर सरन का उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में सदस्य और प्रो. आर. के. मित्तल का हरियाणा में कुलपति पर चयन हो गया।
नियुक्ति आदेश का इंतजार

अधिकृत सूत्रों के मुताबि पैनल में शामिल प्रो. श्रीमाली और प्रो. कोठारी उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। दोनों कुलपति पद के प्रबल दावेदार बताए गए थे। सियासी गलियारों में इनके नाम पर विचार विमर्श किया गया। राज्यपाल कल्याण सिंह और सरकार में सहमति बनने के बाद प्रो. श्रीमाली के नाम को हरी झंडी दी गई। अलबत्ता राजभवन ने प्रो. श्रीमाली के नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए हैं।
वरना बनता तीसरा पैनल….
पिछले पैनल की तरह राजभवन और सरकार में सहमति बनना आसान नहीं था। दो नाम सरकार और एक राजभवन के पसंदीदा प्रोफेसर का था। तीनों नाम पर कोई संयुक्त राय नहीं बन पा रही थी। कुलपति नियुक्ति के लिए तीसरी बार पैनल बनने के आसार थे। मालूम हो कि पिछले साल कुलपति सर्च कमेटी का गठन हुआ था। इसमें शामिल एक सदस्य की योग्यता पर प्रदेश के कई प्रोफेसर ने सवाल उठाए थे।
फिर उदयपुर से कुलपति

कुलपति के मामले में मदस विश्वविद्यालय का उदयपुर और जयपुर से संबंध ज्यादा रहा है। प्रो. रामबलि उपाध्याय, प्रो. कांता आहूजा, डॉ. पी. एल. चतुर्वेदी, प्रो. रूपसिंह बारेठ और प्रो. भगीरथ सिंह का नाता जयपुर से रहा। जबकि प्रो. डी. एन. पुरोहित, प्रो. कैलाश सोडाणी मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर में कार्यरत थे। प्रो. एम. एल. छीपा एकमात्र कुलपति थे, जिनका ताल्लुक महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से रहा है। इस बार फिर उदयपुर से विश्वविद्यालय को कुलपति मिला है।

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