चादर की विशेषता
दरगाह कमेटी ने यह चादर तैयार करवाई है। लौंगिया निवासी मोहम्मद लियाकत अली, उनकी दो बेटियां कनीज फातमा, फिरदौस बानो व परिवार के अन्य सदस्यों ने मिलकर यह चादर तैयार की है। चादर 9 फीट 12 इंच की और 6 किलो 221 ग्राम और 500 मिलीग्राम वजनी है। इसमें हरे रंग के मखमल और सफेद साटन, कुंदर वर्क, बूटा वर्क, गुलाब के फू ल, डायमंड फू ल, सिल्वर मोतियों की लड़, डायमंड झुमके आदि सामग्री काम में ली गई है।
दरगाह कमेटी ने यह चादर तैयार करवाई है। लौंगिया निवासी मोहम्मद लियाकत अली, उनकी दो बेटियां कनीज फातमा, फिरदौस बानो व परिवार के अन्य सदस्यों ने मिलकर यह चादर तैयार की है। चादर 9 फीट 12 इंच की और 6 किलो 221 ग्राम और 500 मिलीग्राम वजनी है। इसमें हरे रंग के मखमल और सफेद साटन, कुंदर वर्क, बूटा वर्क, गुलाब के फू ल, डायमंड फू ल, सिल्वर मोतियों की लड़, डायमंड झुमके आदि सामग्री काम में ली गई है।
पहला मौका
राष्ट्रपति कोविंद ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर अजमेर में चादर तैयार करवाए जाने की इच्छा जाहिर की थी। इस पर कलक्टर डोगरा ने दरगाह नाजिम शकील अहमद को चादर बनवाने के लिए कहा। दरगाह कमेटी के अनुसार पहली बार किसी मुगल शासक के मजार पर पेश होने वाली चादर को अजमेर में विशेष तौर से तैयार करवाया गया है। चादर बनाने वाले लियाकत परिवार का कहना है कि यह उनके लिए भी एक सौभाग्य की बात रही कि उन्हें यह मौका मिला और बहादुर शाह जफर के मजार पर उनके हाथ की बनी चादर पेश की जाएगी।
राष्ट्रपति कोविंद ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर अजमेर में चादर तैयार करवाए जाने की इच्छा जाहिर की थी। इस पर कलक्टर डोगरा ने दरगाह नाजिम शकील अहमद को चादर बनवाने के लिए कहा। दरगाह कमेटी के अनुसार पहली बार किसी मुगल शासक के मजार पर पेश होने वाली चादर को अजमेर में विशेष तौर से तैयार करवाया गया है। चादर बनाने वाले लियाकत परिवार का कहना है कि यह उनके लिए भी एक सौभाग्य की बात रही कि उन्हें यह मौका मिला और बहादुर शाह जफर के मजार पर उनके हाथ की बनी चादर पेश की जाएगी।