स्मार्ट सिटी में शामिल इस क्षेत्र के लोग जहां पेयजल किल्लत जैसी समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं वहीं कई लोग तो बारिश के मौसम में यह दुआ करते हैं कि कहीं बरसात ज्यादा नहीं हो जाए, वरना उनके घर में उठने-बैठने की जगह भी नहीं बचेगी। चुनावी मौसम में जमीनी हकीकत जानने जब मैं इस क्षेत्र में पहुंचा तो यहां मतदाताओं का दर्द छलक पड़ा। यह स्थिति पत्रिका टीम के अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में पहुंचने पर सामने आई।
इस क्षेत्र के आदर्शनगर में हम एक स्टेशनरी की दुकान पर रुके, वहां एक पैन खरीदा। बातचीत के दौरान चुनावी माहौल जानना चाहा तो दुकानदार नरेन्द्र सिंह नयाल मुखर हो गए। बोले ‘आप खुद ही देख लो भाईसाहब, बोर्ड लगाने से कोई स्मार्ट सिटी नहीं बन जाती।
रोजगार तो है नहीं, नौकरी के लिए बच्चे बाहर जा रहे हैं। फैक्ट्रियां खुलनी चाहिए, कम्पनियां आनी चाहिए, उद्योग धंधे होंगे तो ही तो आदमी के पास पैसा आएगा। मैंने उनकी बात काटते हुए पूछ लिया कि आप की तो दुकान है, आप क्यों दु:खी हो? इस पर नयाल का जवाब था ‘मार्केट की हालत देख लो, त्योहारी सीजन में भी 1000-1200 रुपए का गल्ला उठ रहा है, जब लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे ही नहीं होंगे तो मार्केट कैसे चलेगा, यहां की तो स्थिति यह है कि किसी को नौकरी मिल भी गई तो 400-500 रुपए से ज्यादा नहीं मिल पाते।
इतने में तो वह अपना घर का खर्चा ही निकाल पाएगा…और एक बात बताऊं बेरोजगारी के कारण ही आज चोरी की घटनाएं भी बढ़ रही है।’ यहां से आगे बढ़ा तो सेंट फ्रांसिस स्कूल के सामने पंक्चर की दुकान पर कुछ लोग स्टूल पर बैठकर चुनावी चर्चा में मशगूल दिखे। रुककर उनकी बातचीत में शामिल हुआ तो प्रेमचंद गोदारा बोले ‘बीसलपुर परियोजना तो अजमेर के लिए ही बनी थी, फिर भी 72 घंटे से पानी आ रहा है…सीवर लाइन को ले लो, बिजली के बिल में राशि तो जुडकऱ आ रही है लेकिन सीवर कनेक्शन का अता-पता ही नहीं।’
इस बीच वहीं बैठे दिनेश कुमार बोलने लगे ‘कोई निहाल नहीं करता साहब, इन नेताओं के वादों के कोई सिर -पैर नहीं होते…’ दिनेश का इतना बोलना था कि दुकानदार भगवान सिंह सबकुछ छोड़ कर वहां आ गए और बात काटते हुए बोले ‘आप बताओ भाईसाहब बीपीएल कार्ड किसका बनता है, उसी का ना जो बिल्कुल गरीब हो? लेकिन बीपीएल कार्ड का मजा वो लोग ले रहे हैं जो बिल्कुल मजे में हैं’ भगवान यहीं नहीं रुके कहा ‘मैं पंक्चर का काम करता हूं मेरा अंगूठा घिस गया और पॉश मशीन में फिंगर प्रिंट नहीं आ रहे, अब कह कह थक कोई सुनवाई ही नहीं हो रही और राशन नहीं मिल रहा। गैस सिलेंडर की सब्सिडी नहीं मिल रही, सब्सिडी देनी ही नहीं तो फिर बैंक के चक्कर क्यों लगवाए।’ इस दौरान एक बार फिर प्रेमचंद बोले ‘भजनगंज में रहने वाली शीला की विधवा पेंशन अचानक बंद हो गई, छह महीने हो गए विधायक को भी बोल दिया, पार्षद को भी कह दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।’