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मिर्जापुर

पिता की मौत पर गांव लौटा अमेरिका में बस चुका यह NRI, इरादा बदल लोगों के लिए बन गया देवता

मनगढा गांव के रहने वाले एनआरआई श्याम पांडेय एक अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं…

मिर्जापुरJan 20, 2018 / 02:43 pm

ज्योति मिनी

American Return NRI Shyam Panday Help to Villagers after father death

पिता की मौत पर गांव लौटा अमेरिका में बस चुका यह NRI, इरादा बदल लोगों के लिए बन गया देवता

मिर्ज़ापुर. अक्सर विदेशों में बसने के बाद अपने गांव को लोग भूल ही जाते हैं। मगर इन दिनों मिर्जापुर के हलिया इलाके के देवरी मनगढा गांव के रहने वाले एनआरआई श्याम पांडेय एक अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं। श्याम पांडेय ने मुंबई से पढ़ाई पूरी कर 2003 में अमेरिका के बाल्टिमोर में आईटी प्रोफेशनल के तौर पर नौकरी शुरू की। विदेशी आबोहवा में रहने के बाद भी श्याम पांडेय नहीं बदले। नतीजन आज भी श्याम पांडे का दिल अमेरिका के बजाय अपने गांव से लगा हुआ है। अपने पिता की मौत पर अमेरिका से गांव लौटे श्याम पांडेय हालिया के सबसे पिछड़े इलाकों में स्थित अपने गांव की बदहाली देख आवक रह गए। वर्षों बाद भी गांव में कुछ नहीं बदला था। बदहाल सड़कें, गांव में स्वास्थ व शिक्षा की बुनियादी समस्याएं आज भी कायम हैं। गांव में वृद्धा अवस्था पेंशन के लिए वर्षों सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाते बुजुर्ग और महिलाओं को देख उन्होंने गांव के लोगों को जागरुक करने का अभियान छेड़ दिया।
जिसमें उन्होंने गांव के लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। गांव में उनके लौटने के बाद गांव लोग उनके पास अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचते हैं। जिसके समाधान लिए वह नेताओं से लेकर अधिकारियों से बात करत गांव के लोगों की समस्याओं से अवगत करवाते हैं। साथ ही समस्या के समाधान के लिए गांव वालों के साथ संघर्ष करते दिखाई देते हैं। पत्रिका से बात करते श्याम पांडेय कहते हैं, वह एनआरआई हैं और अमेरिका में अच्छी नौकरी करते हैं। मगर जब भी वह गांव लौटते हैं तो यहां की हालत देख कर उन्हें कष्ट होता है। 2012 में जब वह गांव लौटे थे तब से लेकर अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ। इसलिए वह चाहते हैं कि, गांववालों को मूलभूत सुविधाएं मिले और विकास हो।
श्याम पांडेय के अनुसार, इससे पहले 2012 में गांव लौटने पर वह इसी तरह की मुहिम चला चुके हैं। इन दिनों पिता की मौत के बाद वह गांव आए हैं। बता दें कि, श्याम पाण्डेय के पिता अंनत पाण्डेय काम के सिलसिले में गांव से मुंबई गए और वहीं बस गए। मगर उनका उनके परिवार का लगाव लगातार गांव से बना रहा। वह आए दिन जब भी गांव पहुचते तो गांव में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए गांववालों को जागरूक करते रहते थे। बता दें कि, हालिया इलाका सबसे पिछड़े क्षेत्रों में गिना जाता है। तमाम सरकारी योजनाओं के बाद भी यह क्षेत्र विकास से कोसों दूर है।
सुरेश सिंह

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