जिसमें उन्होंने गांव के लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। गांव में उनके लौटने के बाद गांव लोग उनके पास अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचते हैं। जिसके समाधान लिए वह नेताओं से लेकर अधिकारियों से बात करत गांव के लोगों की समस्याओं से अवगत करवाते हैं। साथ ही समस्या के समाधान के लिए गांव वालों के साथ संघर्ष करते दिखाई देते हैं। पत्रिका से बात करते श्याम पांडेय कहते हैं, वह एनआरआई हैं और अमेरिका में अच्छी नौकरी करते हैं। मगर जब भी वह गांव लौटते हैं तो यहां की हालत देख कर उन्हें कष्ट होता है। 2012 में जब वह गांव लौटे थे तब से लेकर अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ। इसलिए वह चाहते हैं कि, गांववालों को मूलभूत सुविधाएं मिले और विकास हो।
श्याम पांडेय के अनुसार, इससे पहले 2012 में गांव लौटने पर वह इसी तरह की मुहिम चला चुके हैं। इन दिनों पिता की मौत के बाद वह गांव आए हैं। बता दें कि, श्याम पाण्डेय के पिता अंनत पाण्डेय
काम के सिलसिले में गांव से मुंबई गए और वहीं बस गए। मगर उनका उनके परिवार का लगाव लगातार गांव से बना रहा। वह आए दिन जब भी गांव पहुचते तो गांव में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए गांववालों को जागरूक करते रहते थे। बता दें कि, हालिया इलाका सबसे पिछड़े क्षेत्रों में गिना जाता है। तमाम सरकारी योजनाओं के बाद भी यह क्षेत्र विकास से कोसों दूर है।
सुरेश सिंह