जिंदगी तमाम, चलते रहे नाम प्रदेश में पिछले कुछ सालों में 2 लाख 95 हजार 06 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। लेकिन उनके परिवार के सदस्यों ने राशन डीलर व रसद विभाग को सूचित कर राशन कार्ड से नाम नहीं कटवाए। ना ही स्थानीय निकायों ने मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने के बाद रसद विभाग को इसकी सूचना दी। ऐसे में मृतक के नाम पर राशन सामग्री का उठाव निरन्तर चलता रहा। ऐसे मामलों में जिला रसद विभाग मुख्यालय द्वारा मृतकों के आंकड़े मुहैया कराना बता रहा है, जबकि बड़ा सवाल यह है कि स्थानीय रसद विभाग ने ऐसे मामलों में संज्ञान क्यों नहीं लिया।
बचेगा 3 हजार क्विंटल गेहूं
कोविड-19 संक्रमण काल में खाद्य सुरक्षा योजना के अलावा केन्द्र सरकार ने जरूरतमंदों को अतिरिक्त गेहूं का आवंटन किया था। खाद्य सुरक्षा में चयनित परिवार के प्रति सदस्य को 5 किलो के बजाए 10 किलो मुफ्त गेहूं मिल रहा है। प्रदेश में 2 लाख 96 हजार 06 व्यक्तियों के नाम से करीब 3 हजार क्विंटल गेहूं का उठाव हो रहा था।
अब बोगस पर फोकस. . .
कोविड-19 संक्रमण में जरूरतमंदों पर राशन की बारिश के बाद रसद विभाग बोगस पर फोकस कर रहा है। खाद्य सुरक्षा योजना में अपात्र होने के बावजूद राशन लेने वाले, मृत्यु व विवाह के उपरांत भी उनके नाम से राशन सामग्री का उठाव करने वाले परिवार को चिह्नित किया जा रहा है।
राजधानी में सबसे ज्यादा मृतकों के नाम से राशन सामग्री उठाने के मामले में राजधानी जयपुर सबसे आगे है। जयपुर में 18 हजार 295, अलवर में 16 हजार 281, नागौर में 15 हजार 740, जोधपुर में 15 हजार 398, पाली में 14 हजार 750, अजमेर में 14 हजार 465, भीलवाड़ा 11 हजार 591, गंगानगर 10 हजार 489, उदयपुर 10 हजार 434, बांसवाड़ा में 10 हजार 157 मृतकों के नाम से राशन सामग्री का उठाव हो रहा था। शेष जिले में 3 से 9 हजार के बीच है। सबसे कम जैसलमेर में 1527 लोग शामिल हैं।
इनका कहना है…
बीते सालों में जिलों में मरने वाले के आंकड़े मुख्यालय ने मुहैया कराए हैं। करीब साढ़े 14 हजार नाम मृत्यु के पश्चात काटे हैं। परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी है कि परिवार के सदस्य की मृत्यु होने या महिला के विवाह उपरान्त सूचना देकर नाम कटवाए या जुड़वाए।
अंकित पचार, जिला रसद अधिकारी (ग्रामीण)