scriptदेखें इस हाल में रहते हैं धरती के भगवान, इनकी भी नहीं कोई सुनने वाला | Resident and intern hostel condition not well, students in strike mood | Patrika News
अजमेर

देखें इस हाल में रहते हैं धरती के भगवान, इनकी भी नहीं कोई सुनने वाला

मेडिकल कॉलेज और राज्य सरकार इन हॉस्टल पर ध्यान नहीं देती है।

अजमेरMay 22, 2018 / 03:23 pm

raktim tiwari

bad hostel condition

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अजमेर

आमजन एवं मरीजों का उपचार करने वाले रेजीडेंट डॉक्टर्स एवं इन्टन्र्स खुद अपने स्वास्थ्य को लेकर चिन्तित हैं। विगत एक मई से आज तक रेजीडेंट चिकित्सकों, इन्टन्र्स सहित अन्य हॉस्टल्स में सफाई व्यवस्था चौपट है। सफाई के टेण्डर समाप्त होने के बाद नए टेण्डर के इंतजार में इन हॉस्टल्स में सफाई कर्मियों को नहीं लगाया गया है। अब रेजीडेंट चिकित्सक एसोसिएशन में आगामी 24 घंटे में कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है।
राजस्थान एसोसिएशन ऑफ रेजीडेन्ट डॉक्टर्स अजमेर के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र सिंह लामरोड व पदाधिकारियों ने जेएलएन मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के सभी हॉस्टल्स में सफाई व्यवस्था नहीं होने पर कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है।
उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. आर.के.गोखरू को पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि सभी छात्रावासों रेजीडेंट, इन्टर्न, यूजी, गल्र्स हॉस्टल में सफाई टेण्डर खत्म होने से सफाई व्यवस्था ठप पड़ी है। इसमें अभी तक रेजीडेंट व अन्य के 15 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं। इसके बावजूद आज तक सफाई व्यवस्था नहीं करवाई गई।
अगर आगामी 24 घंटे में इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो मजबूरन रेजीडेन्ट डॉक्टर्स एवं मेडिकल छात्रओं को 2 घंटे सुबह 8 से 10 बजे तक कार्य बहिष्कार किया जाएगा। इस दौरान आपातकालीन सेवाएं रेजीडेंट जारी रखेंगे।

जब हुई थी हड़ताल

राज्य में पिछले साल सेवारत डॉक्टर, रेजीडेंट और इन्टन्र्स ने कई मांगों को लेकर पिछले साल दो बार हड़ताल की थी। दोनों बार एक सप्ताह तक चली हड़ताल से राज्य में पूरी चिकित्सा व्यवस्था गड़बड़ा गई। सरकार के लाखों दावों के बावजूद हालात सामान्य नहीं हुए। बातचीत के बजाय सरकार ने कुछ डॉक्टर्स के तबादले और नियमानुसार कार्रवाई कर आग में घी का काम किया। इससे डॉक्टर्स और भड़क गए। इलाज के अभाव में कई गम्भीर मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो पाए।
नहीं साफ रहते हैं हॉस्टल

रेजीडेंट और इन्टन्र्स के हॉस्टल बिल्कुल साफ नहीं रहते हैं। इनके हॉस्टल के आसपास गंदगी रहती है। गलियारों में कचरा बिखरा रहता है। रेजीडेंट अपने पैसे से सफाई कर्मियों की सेवाएं लेते हैं। कई बार तो हॉस्टल में टॉयलेट भी साफ नहीं रहते हैं। मेडिकल कॉलेज और राज्य सरकार इन हॉस्टल पर ध्यान नहीं देती है। यही हाल राज्य के अस्पतालों का भी है। सरकारी अस्पतालों में गंदगी के कारण ही लोग प्राइवेट में मुहमांगी फीस के बावजूद इलाज कराने जाते हैं।
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