आयोग के अतिरिक्त निदेशक (आईटी) अखिलेश मित्तल की मानें तो आयोग ने करीब चार साल पूर्व वन टाइम वेरिफिकेशन की योजना बनाई थी। तब आधार कार्ड से अभ्यर्थियों के फॉर्म को लिंक करने का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड को कई योजनाओं के लिए बाध्यकारी नहीं मानने के आदेश दिए थे। इसके बाद वन टाइम वेरिफिकेशन कामकाज रोकना पड़ा था।
साल 2018 से आयोग सिंगल साइन ऑन (एसएसओ) आईडी से फॉर्म भरवा रहा है। इसके तहत प्रत्येक अभ्यर्थी की डिजिटल आइडेंटिटी बनती है। लेकिन प्रत्येक भर्ती परीक्षा के लिए अभ्यर्थी को बार-बार आवेदन करना पड़ता है। सीएम गहलोत ने बजट भाषण में वन टाइम वेरिफिकेशन की घोषणा की है। लिहाजा राजस्थान लोक सेवा आयोग को इसकी कवायद में जुटना पड़ेगा। आयोग को आधार कार्ड की अनिवार्यता के स्थान पर जन आधार, भामाशाह, मोबाइल नंबर, अथवा अन्य कोई भी विकल्प तलाशना होगा।
-अभ्यर्थियों के दस्तावेज खोने-फटने का खतरा नहीं
-भर्ती परीक्षाओं, काउंसलिंग, नियुक्तियों के दौरान बार-बार वेरिफिकेशन से मुक्ति
-कोई शक होने पर मूल दस्तावेज से मिलान करना आसान
-अभ्यर्थियों के लिए बनाई जा सकती है डिजि लॉकर सुविधा
सरकार की वन टाइम वेरिफिकेशन की घोषणा पर विशेषज्ञों से चर्चा की जाएगी। इससे आयोग और अभ्यर्थियों को सुविधाएं होंगी।
डॉ. भूपेंद्र यादव, अध्यक्ष राजस्थान लोक सेवा आयोग